वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में सरकारी इनिशिएटिव्स से तेल कंपनियों को मिलेगी मदद : रिपोर्ट


नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भारत सरकार की ओर से जरूरी इनिशिएटिव्स लेने से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) को मदद मिलेगी। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

बीते छह महीनों में अमेरिका द्वारा कच्चे तेल के लिए रूस पर निर्भरता कम करने का दबाव बनाए जाने, डॉलर के मुकाबले रुपए का मूल्य कम होने और अन्य कारणों के चलते भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के रिफाइनिंग मार्जिन पर दबाव बढ़ा है।

एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया, “भारत सरकार ओएमसी के ऐसे निर्णयों को समर्थन दे रही है, जो इन कंपनियों के सर्वोत्तम वाणिज्यिक हितों में हैं और साथ ही वित्त वर्ष 24 में हुई एलपीजी अंडर-रिकवरी का भुगतान करने का वादा भी कर रही है।”

इसके परिणामस्वरूप बीते छह महीनों में ओएमसी शेयरों में 14-23 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है, जबकि निफ्टी में इस दौरान 12 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है।

रिपोर्ट में बताया गया कि रिफाइनिंग मार्जिन में अंतरिम अवधि में वृद्धि हुई और फिर गिरावट हुई। भारतीय मुद्रा के अवमूल्यन ने कुछ मार्केटिंग मार्जिन को खत्म कर दिया, लेकिन संयुक्त मार्जिन 22-25 डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर रहा, जो हमारे और बाजार के पूरे वर्ष के अनुमानों से काफी अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारी एचएसबीसी की वैश्विक टीम ने वर्ष 2025 की चौथी तिमाही से तेल में बड़े सरप्लस का अनुमान लगाया है, जिससे एचएसबीसी के 2026 के लिए 65 डॉलर प्रति बैरल के ब्रेंट ऑयल के पूर्वानुमान में गिरावट का जोखिम है।”

इसके अलावा, एटीएफ में कमजोरी के बावजूद ऑटो ईंधन की मांग में तेजी बनी हुई है। अगस्त 2025 में, ऑटो ईंधन की मांग में तेजी बनी रही और यह साल-दर-साल 2.6 प्रतिशत बढ़ी।

पेट्रोल की मांग में साल-दर-साल 5.5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई, जबकि डीजल की मांग में साल-दर-साल 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। एटीएफ की मांग लगातार दूसरे महीने -2.9 प्रतिशत (जुलाई में -2.3 प्रतिशत के बाद) नकारात्मक रही।

वैश्विक निवेश फर्म ने कहा, “हवाई यातायात में हाल के रुझानों में सुधार के साथ, हमें उम्मीद है कि गिरावट भी उलट जाएगी।”

–आईएएनएस

एबीएस/


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