ओडिशा कैबिनेट ने बारापुत्र ऐतिहासिक ग्राम योजना को दी मंजूरी


भुवनेश्वर, 24 दिसंबर (आईएनएस)। ओडिशा कैबिनेट ने बुधवार को कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिसमें ‘बारापुत्र ऐतिहासिक ग्राम योजना’ को लागू करना भी शामिल है। इस योजना का मकसद राज्य के मशहूर बेटों को सम्मान देना है, जिसके लिए उनके जन्मस्थानों को लोकल हेरिटेज सेंटर में बदला जाएगा।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, राज्य कैबिनेट ने बुधवार को यहां मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की अध्यक्षता में हुई बैठक में सात विभागों के 10 प्रस्तावों को मंजूरी दी। राज्य सरकार ने मूर्त और अमूर्त विरासत को संरक्षित करने, समुदाय-आधारित सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देने और राज्य में स्थानीय विरासत संपत्तियों का निर्माण करने के उद्देश्य से राज्य में ‘बारापुत्र ऐतिहासिक ग्राम योजना’ को एक संरचित, बजट-समर्थित हस्तक्षेप के रूप में लागू करने का प्रस्ताव दिया।

सरकार ‘बारापुत्रों’ के आवासीय घरों को विरासत संग्रहालयों के रूप में विकसित और संरक्षित करने, एक इंटरप्रिटेशन सेंटर, पुस्तकालय, सम्मेलन कक्ष, ओपन-एयर थिएटर, बच्चों के पार्क और अन्य संबंधित सुविधाओं जैसे सहायक बुनियादी ढांचे को विकसित करने और बारापुत्रों की याद में मूर्तियां और स्मारक बनाने की योजना बना रही है। सरकार ने स्थानीय आजीविका को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय रूप से प्रसिद्ध व्यंजनों, हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की बिक्री के लिए समर्पित आउटलेट स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया।

इसी तरह, बरपुत्रों के जीवन और योगदान पर आधारित सेमिनार, चर्चाएं, इंटरैक्टिव सत्र और सांस्कृतिक कार्यक्रम उनके विचारों, सोच और मूल मूल्यों को प्रसारित करने और बढ़ावा देने के लिए आयोजित किए जाएंगे। राज्य सरकार ने कहा, “योजना के पहले चरण में, ओडिशा के 25 प्रतिष्ठित बेटों की पहचान विकास के लिए की गई है। इन विरासत स्थलों के विकास और संरक्षण के लिए वास्तविक आवश्यकताओं के आधार पर प्रति जन्मस्थान 15 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। तदनुसार, चरण I के लिए कुल अनुमानित व्यय 345 करोड़ रुपए होगा।”

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस एकीकृत दृष्टिकोण का उद्देश्य विरासत को संरक्षित करना, सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देना और स्थायी स्थानीय विकास को बढ़ावा देना है। राज्य कैबिनेट ने बुधवार को राज्य सरकार की प्रमुख बिकसित गांव बिकसित ओडिशा योजना के तहत एक ढांचे को मंजूरी दी, जिसका लक्ष्य परियोजना अनुमोदन में अधिक सहभागी, जमीनी स्तर का दृष्टिकोण अपनाना है।

राज्य सरकार ने कहा, “संशोधित प्रक्रिया के तहत, अब कलेक्टर कार्यालय, जिला परिषद, ब्लॉक, ग्राम पंचायतों के नोटिस बोर्ड पर और जिला वेब पोर्टल पर नोटिस प्रकाशित करके पंचायती राज संस्थानों के सदस्यों, निर्वाचित प्रतिनिधियों या नागरिक समाज के सदस्यों से आवश्यकता-आधारित परियोजना प्रस्ताव आमंत्रित किए जा सकते हैं।”

जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति इन प्रस्तावों की समीक्षा करेगी, और अंतिम परियोजनाओं की सूची संबंधित जिले के कलेक्टर द्वारा अनुमोदित की जाएगी। जवाबदेही को मजबूत करने के लिए, 10.00 लाख रुपए से ज्यादा के सभी प्रोजेक्ट्स के लिए, काम पूरा होने की तारीख से तीन साल का अनिवार्य डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड शुरू किया गया है।

इस बीच, राज्य कैबिनेट ने बुधवार को अपनी बैठक में कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों को भी मंजूरी दी, जिसमें ‘उत्कर्ष आईटीआई योजना’ शामिल है, जिसका मकसद पांच सरकारी आईटीआई को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में अपग्रेड करना है, और स्मार्ट मीटर इंस्टॉलेशन फेज-I’ योजना, जिसका मकसद राज्य में 100 प्रतिशत स्मार्ट मीटरिंग को तेजी से लागू करना है।

–आईएएनएस

एएमटी/डीकेपी


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