विश्वनाथ मंदिर में अब नहीं होगी मन्नत की हौद भराई, 580 लीटर दूध से भरा जाता था अरघा

विश्वनाथ मंदिर में अब नहीं होगी मन्नत की हौद भराई, 580 लीटर दूध से भरा जाता था अरघा

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में अब हौद भराई पूजा पर रोक लगा दी गई है। मंदिर प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से हौद भराई पूजा को बंद करने का आदेश दे दिया है। मंदिर के ऑनलाइन पोर्टल पर इसकी बुकिंग भी बंद कर दी गई है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने हौद भराई पूजा को अशास्त्रीय बताते हुए इस पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है।

बाबा विश्वनाथ के मंदिर में हौद भराई की पूजा लंबे समय से चली आ रही थी। इसके तहत 580 लीटर दूध से श्रद्धालु बाबा का अरघा भरवाते थे। इसके लिए 25 हजार 450 रुपये शुल्क लगता था। इसमें मंदिर की फीस 2250 रुपये और पूजन सामग्री पर 23 हजार दो सौ रुपये खर्च होते थे। मंदिर में भीड़ के कारण हौद भराई की पूजा से श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शन करने में भी परेशानी होती थी। श्रद्धालुओं की शिकायत के बाद मंदिर प्रशासन ने जब इसकी जांच कराई तो पता चला कि हौद भराई की परंपरा शास्त्रीय नहीं है।

मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि हौद भराई की परंपरा का कहीं से कोई पुराणोक्त प्रमाण नहीं मिलता है। भगवान का विग्रह बाल स्वरूप माना जाता है और बालक को दूध पिलाया जाता है उसे दूध में डुबोया नहीं जाता है। पूजा में समय भी लगता था इस दौरान दर्शन पूजन की प्रक्रिया भी बाधित होती थी। वहीं हौद भराई में कुछ गड़बड़ियों की भी शिकायत मिली थी।

महादेव पूजा में अब होगी सिर्फ 13 पूजा
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की वेबसाइट पर महादेव पूजा के कॉलम में अब सिर्फ 13 पूजा ही होगी। हौद भराई की पूजा बंद होने के बाद केवल 13 पूजा की बुकिंग की जा सकेगी। इसमें संन्यासी भोजन, दैनिक रात्रि कालीन शृंगार, श्रावण सोमवार संन्यासी भोजन, पूर्णिमा शृंगार, श्रावण सोमवार शृंगार, दुग्धाभिषेक, अखंड दीप, लक्ष्य बिल्वार्चन, बिल्वार्चन, सत्यनारायण कथा और महामृत्युंजय जप पूजा शामिल है।

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