विदेश मंत्रियों की बैठक में उत्तर कोरिया-रूस ने माना- 'हमारे संबंध मजबूत'


वाशिंगटन, 12 जुलाई (आईएएनएस)। रूसी समाचार एजेंसियों के अनुसार, उत्तर कोरिया और रूस ने शनिवार को उत्तर कोरिया के एक तटीय रिसॉर्ट शहर में शीर्ष राजनयिकों की बैठक के दौरान अपने मजबूत संबंधों को फिर से दोहराया है।

रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ के अनुसार, उत्तर कोरिया की विदेश मंत्री चोई सोन-हुई ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से वॉनसान शहर में मुलाकात की। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच रणनीतिक वार्ता के दूसरे दौर के तहत हुई। लावरोव एक दिन पहले ही उस शहर में पहुंचे थे, जहां इस महीने की शुरुआत में एक नया पर्यटक क्षेत्र खोला गया है।

सर्गेई लावरोव ने चोई सोन-हुई के द्विपक्षीय संबंधों को ‘अजेय सैन्य भाईचारा’ बताया। उन्होंने इसका उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तर कोरियाई सैनिकों ने रूस के पश्चिमी क्षेत्र कुर्स्क में यूक्रेनी बलों के खिलाफ रूसी सैनिकों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी।

‘तास’ की रिपोर्ट के अनुसार, लावरोव ने यह भी वादा किया है कि वह इस तटीय शहर में अधिक रूसी पर्यटकों को लाने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही यहां फ्लाइट्स की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।

चोई ने रूस के प्रति अपने देश के समर्थन की पुष्टि करते हुए कहा कि उनके संबंध ‘अटूट’ हैं।

‘तास’ ने चोई के हवाले से कहा, “डीपीआरके (डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया) सरकार का रणनीतिक निर्णय और उनकी इच्छा रूस की राज्य संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की नीति का बिना शर्त और निरंतर समर्थन करना है।”

‘योनहाप समाचार एजेंसी’ के अनुसार, लावरोव का उत्तर कोरिया दौरा रविवार तक चलेगा, जिसके बाद वह चीन रवाना होंगे, जहां वह शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य देशों की विदेश मंत्री स्तरीय बैठक में हिस्सा लेंगे।

लावरोव की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब मॉस्को और प्योंगयांग के बीच सहयोग व्यापक हो रहा है। यह प्रक्रिया तब से तेज हुई है, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई राजनेता किम जोंग-उन ने जून 2024 में प्योंगयांग में हुई शिखर बैठक के दौरान एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए।

लावरोव ने जून 2024 में भी उत्तर कोरिया की यात्रा की थी। उस समय वह राष्ट्रपति पुतिन के साथ प्योंगयांग शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे। उस बैठक में दोनों देशों ने एक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके मुताबिक अगर किसी एक देश पर आक्रमण होता है, तो दूसरा उसका समर्थन करेगा।

–आईएएनएस

आरएसजी/केआर


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