भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र प्रगति की राह पर, 10 वर्षों में बजट आवंटन में जबरदस्त वृद्धि दर्ज : केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल

भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र प्रगति की राह पर, 10 वर्षों में बजट आवंटन में जबरदस्त वृद्धि दर्ज : केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र प्रगति की राह पर है। पिछले 10 वर्षों में पूर्वोत्तर में बजट आवंटन खर्च को लेकर वृद्धि दर्ज हुई है, जो कि 2014 में 36,108 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 94,680 करोड़ रुपये हो गया है। यह वित्तीय बढ़ावा इस क्षेत्र में विकास से जुड़े अंतर को कम करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 2014 के बाद से पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, परिवहन और जैविक खेती में प्रगति पर जोर दिया।

केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) की संख्या को लेकर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) की संख्या 2014 में 80 से बढ़कर 2023 में 103 हो गई है। इसके अलावा, बेहतर कनेक्टिविटी के लिए चालू सड़क परियोजनाएं 4,016 किलोमीटर से अधिक फैली हुई हैं। उन्होंने बताया कि एक दशक की अवधि में राष्ट्रीय राजमार्ग विस्तार को लेकर 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि क्षेत्र में हर साल 193 किलोमीटर से ज्यादा रेल लाइन बिछाई गई हैं। इसके अलावा, ब्रॉड-गेज लाइनों का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर के लिए रेल बजट में 370 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

केंद्रीय मंत्री ने विमानन क्षेत्र को लेकर जानकारी दी कि पूर्वोत्तर में अब 17 हवाई अड्डे कार्यरत हैं, जो एक दशक में हुई बड़ी वृद्धि को दर्शाते हैं। इसी के साथ साप्ताहिक उड़ानों में 113 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान की जा रही है और पर्यटन के साथ-साथ व्यापार को बढ़ावा दिया जा रहा है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में शिक्षा और जैविक खेती को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिक्षा और कृषि से जुड़ी कईं पहल विकास को बढ़ावा देने में अहम रही। पूर्वोत्तर में विश्वविद्यालयों की संख्या में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, 1.55 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि का इस्तेमाल जैविक खेती के लिए किया गया है, जिससे सस्टेनेबल कृषि प्रैक्टिस को बढ़ावा मिला है।

–आईएएनएस

एसकेटी/एएस

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