प्रकृति का साथ, स्क्रीन से दूर: चर्चा में नोबेल विजेता का डिजिटल विराम


नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। मेडिसिन क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (2025) जीतने वाले एक वैज्ञानिक को सूचना देने को सब बेताब थे। मोबाइल से, मेल से, या जो भी डिजिटल तरीका हो सकता है उस माध्यम से उन तक पहुंचने की कोशिश में थे। लेकिन ये संभव नहीं हो पाया। जानते हैं क्यों? क्योंकि ये विजेता फोन और ईमेल से पूरी तरह दूर थे। इनका नाम फ्रेड राम्सडेल है और ये इडाहो के पहाड़ों-जंगलों की हाइकिंग (पैदल यात्रा) पर निकले थे, प्रकृति के बीच “डिजिटल डिटॉक्स” का आनंद उठाते हुए!

इस साल का पुरस्कार राम्सडेल, मैरी ब्रंकॉव और शिमोन सकागुची को मिला है। वैज्ञानिकों ने इम्यून सिस्टम के ‘सिक्योरिटी गार्ड्स’ कहलाने वाले रेगुलेटरी टी‑सेल्स की खोज की है। यह शोध ऑटोइम्यून रोग और कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में क्रांति ला रहा है।

खैर, नाम का ऐलान हो गया, लेकिन फिर नोबेल कमिटी को राम्सडेल तक पहुंचने में मुश्किल हुई, क्योंकि वह पूरी तरह ऑफलाइन थे। उनके मित्र और सह-शोधकर्ता जेफ्री ब्लूस्टोन ने मीडिया से कहा कि वह खुद भी संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन नोबेल पुरस्कार विजेता प्रकृति में पूरी तरह डूबे हुए थे।

एक वैज्ञानिक जिसकी खोज ने दुनिया को नई दिशा दिखाई, वो डिजिटली सब चीजों से कट कर अपनी पहचान गढ़ रहा है। इसे ही तो डिजिटल डिटॉक्स कहा जाता है। ‘डिजिटल डिटॉक्सिटी’ का मतलब एक निश्चित समय के लिए फोन, टैब या फिर ऐसे ही इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज से दूरी बना लेना होता है। यह इंटरनेट पर हर समय एक्टिव रहने की लत से छुटकारा दिलाने का सहज उपाय है। डिजिटल डिटॉक्स में एक समय सीमा निर्धारित की जाती है और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म समेत मोबाइल या लैपटॉप से दूरी बना ली जाती है। कई स्टडी में दावा किया गया है कि इसके शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं।

मानसिक तौर पर आप सक्रिय रहते हैं। एकाग्रता बढ़ती है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। ये इन दिनों हेल्थी लाइफस्टाइल का ट्रेंड बनता जा रहा है और रिसर्च दावा करते हैं कि इससे नींद अच्छी आती है। शायद फ्रेड राम्सडेल इससे भलीभांति वाकिफ हैं।

तभी तो उन्होंने अनजाने में ही एक बड़ा संदेश दुनिया को दे दिया। एहसास दिलाया कि मॉर्डन युग में तकनीक और लगातार जुड़े रहने की दुनिया में कभी-कभी डिजिटल विराम लेना और खुद को रीचार्ज करना बेहद जरूरी है। राम्सडेल की ‘ऑफ-ग्रिड हाइकिंग’ डिजिटल डिटॉक्स की महत्ता समझाती है।

–आईएएनएस

केआर/


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