बेंगलुरु जेल में कैदियों को कट्टरपंथी बनाने के मामले में एनआईए (NIA) सात राज्यों में 17 स्थानों पर तलाशी की कार्रवाई कर रही है। आज सुबह से बेंगलुरु और तमिलनाडु समेत अन्य राज्यों में छापेमारी चल रही है। यह छापे आतंकी साजिश में शामिल संदिग्धों से जुड़े हैं।
इस साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बेंगलुरु लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जेल कट्टरपंथ और ‘फिदायीन’ (आत्मघाती) हमले की साजिश रचने के मामले में एक आजीवन कारावास की सजा पाने वाले और दो भगोड़ों सहित आठ लोगों पर आरोप पत्र दायर किया।
इन आरोपियों पर मुकदमा किया गया दर्ज
आरोपपत्र में शामिल आरोपियों में केरल के कन्नूर जिले का टी नसीर भी शामिल है, जो 2013 से बेंगलुरु की सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। वहीं जुनैद अहमद उर्फ जेडी और सलमान खान के विदेश भाग जाने का संदेह है।
अन्य की पहचान सैयद सुहैल खान उर्फ सुहैल, मोहम्मद उमर उर्फ उमर, जाहिद तबरेज उर्फ जाहिद, सैयद मुदस्सिर पाशा और मोहम्मद फैसल रब्बानी उर्फ सदाथ के रूप में हुई है। सभी आठ आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
बेंगलुरु सिटी पुलिस द्वारा 18 जुलाई, 2023 को सात आरोपी व्यक्तियों के कब्जे से हथियार, गोला-बारूद, हथगोले और वॉकी-टॉकी की जब्ती के बाद दर्ज किया गया था। बरामदगी तब की गई जब सातों लोग एक आरोपी के घर में एकत्र हुए थे।
एनआईए ने अक्टूबर 2023 को इस मामले की जांच को अपने हाथ में ले लिया था। साल 2017 में आरोपी टी. नसीर अन्य आरोपियों के संपर्क में आया था। सलाम POCSO मामले में जेल में था। कट्टरपंथी बनाने और उन्हें लश्कर में भर्ती करने के उद्देश्य से नसीर उनकी क्षमता का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने के बाद उन सभी को अपने बैरक में स्थानांतरित करने में कामयाब रहा था।
वह सबसे पहले लश्कर की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए जुनैद और सलमान को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने में कामयाब रहा। इसके बाद उसने जुनैद के साथ मिलकर अन्य आरोपियों को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने की साजिश रची।