न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम : पूर्व चेयरमैन हिरेन भानु ने हितेश मेहता को ठहराया दोषी

मुंबई, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में एक नया मोड़ सामने आया है। बैंक के पूर्व चेयरमैन हिरेन भानु ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को दिए गए बयान में बैंक के वरिष्ठ अधिकारी और गिरफ्तार आरोपी हितेश मेहता को घोटाले का दोषी ठहराया है। भानु का कहना है कि मेहता ने 122 करोड़ रुपये के गबन में सीधे तौर पर भाग लिया और इस मामले में पूरी जिम्मेदारी उन्होंने खुद ली है।
घोटाले का खुलासा होते ही बैंक के पूर्व चेयरमैन हिरेन भानु के खिलाफ आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने गबन की गई राशि का हिस्सा लिया था। हालांकि, भानु ने इन आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने दावा किया कि वह पिछले 30 वर्षों से विदेश में रह रहे हैं और उनकी पत्नी गौरी भानु, जो वर्तमान में बैंक की कार्यवाहक अध्यक्ष हैं, किसी घोटाले के कारण विदेश नहीं गईं, बल्कि उनके साथ यात्रा पर गईं हैं। हिरेन भानु ने यह भी कहा कि उनकी पत्नी की थाईलैंड यात्रा की योजना पहले से तय थी और इसमें कोई अनियमितता नहीं थी।
भानु ने यह भी बताया कि जब आरबीआई के अधिकारी प्रभादेवी स्थित बैंक के मुख्यालय पहुंचे थे, तो मेहता ने खुद उन्हें फोन किया और स्वीकार किया कि उसने यह घोटाला किया है। मेहता ने यह स्वीकार किया कि पिछले पांच वर्षों में उसने पैसे की हेराफेरी की है। भानु ने कहा कि इस समय बैंक के लिए आरबीआई द्वारा एक निदेशक भी नियुक्त किया गया था, जो बोर्ड का हिस्सा था और बैंक की ऑडिट कमेटी में भी शामिल था। भानु ने यह स्पष्ट किया कि बैंक में पिछले चार वर्षों से आरबीआई की निगरानी चल रही थी और बैंक के आंतरिक ऑडिट विभाग के प्रमुख की जिम्मेदारी थी कि वे सभी बाहरी ऑडिटरों की नियुक्ति की संस्तुति करें। इसके अलावा, भानु ने यह भी बताया कि पिछले पांच वर्षों में किसी भी ऑडिट रिपोर्ट में कैश बैलेंस में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई थी। इसलिए, निदेशक मंडल और बैंक के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष को कभी भी किसी नकदी के गायब होने की जानकारी नहीं हो सकती थी।
11 फरवरी को आरबीआई के अधिकारियों ने बैंक में आकर सभी वरिष्ठ अधिकारियों को बोर्ड रूम में इकट्ठा किया, लेकिन मेहता उस दौरान बैंक से गायब हो गए थे। आरबीआई ने 2:30 बजे बैंक के अधिकारियों को ईमेल भेजकर पूछा कि 122 करोड़ रुपये क्यों गायब हुए। इस पर बैंक प्रबंधन को कोई जानकारी नहीं थी, क्योंकि यह मेहता का विभाग था और वह गायब हो चुका था।
मेहता ने बाद में भानु से संपर्क किया और खुद ही यह स्वीकार किया कि उसने पैसे की हेराफेरी की है और इस अपराध के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। भानु ने मेहता से बैंक वापस जाने और आरबीआई अधिकारियों के सामने अपनी गलती स्वीकार करने के लिए कहा। भानु के अनुसार, मेहता ने दहिसर स्थित एक इमारत को 70 करोड़ रुपये देने की बात कबूल की और अन्य छह लोगों के साथ बड़ी रकम पार्क करने की भी जानकारी दी। हालांकि, भानु ने यह दावा किया कि मेहता ने उन्हें 26 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया।
भानु ने इस बात को भी नकारा कि मेहता पर कोई झूठ पकड़ने वाला परीक्षण किया गया था और उसके परिणाम नकारात्मक आए थे। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि आरबीआई की निगरानी के बावजूद धोखाधड़ी पर किसी का ध्यान क्यों नहीं गया, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि क्या इस घोटाले में और भी लोग शामिल थे। इस मामले में आगे की जांच जारी है और पुलिस के पास इस संबंध में सभी कॉल लॉग और अन्य महत्वपूर्ण सबूत मौजूद हैं। पुलिस का कहना है कि वे मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं और दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
–आईएएनएस
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