नेपाल के मंत्री ने बांग्लादेश को अधिक बिजली एक्सपोर्ट करने के लिए भारत से मांगी मदद

काठमांडू, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्री कुल मान घिसिंग ने मंगलवार को भारत से अनुरोध किया कि वह नेपाल को भारत के ट्रांसमिशन नेटवर्क का इस्तेमाल करने दे, ताकि नेपाल बांग्लादेश को अतिरिक्त 20 मेगावाट बिजली भेज सके।
नेपाल, भारत और बांग्लादेश के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते के तहत नेपाल पिछले साल से हर वर्ष 15 जून से 15 नवंबर तक बांग्लादेश को 40 मेगावाट बिजली निर्यात कर रहा है।
भारत के विदेश मंत्रालय में मंगलवार को अतिरिक्त सचिव (उत्तर) मुनु महावर के साथ बैठक के दौरान नेपाल के ऊर्जा मंत्री कुल मान घिसिंग ने भारत से यह अनुरोध किया, जिसकी जानकारी मंत्री घिसिंग के सचिवालय ने दी।
नेपाल का यह अनुरोध उस समझौते के अनुरूप है, जो नेपाल और बांग्लादेश के बीच नवंबर के अंत में ढाका में हुई ऊर्जा सचिव-स्तरीय संयुक्त संचालन समिति की बैठक में हुआ था। इस द्विपक्षीय समझौते के तहत, बांग्लादेश जरूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद नेपाल से अतिरिक्त 40 मेगावाट बिजली खरीदेगा।
नेपाल के अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए बांग्लादेश को और ज्यादा बिजली भेजी जा सकती है, बशर्ते भारत अपनी ट्रांसमिशन लाइन का इस्तेमाल करने की अनुमति दे।
हालांकि, उनका कहना है कि वे इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि भारत क्या प्रतिक्रिया देगा, क्योंकि पिछले साल बांग्लादेश में हिंसक विद्रोह के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत आ गई थीं, जिसके बाद दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं।
हाल ही में नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित दक्षिण एशिया (भूटान, भारत और नेपाल) पावर समिट में भी बांग्लादेश को आमंत्रित नहीं किया गया था।
इस बैठक में नेपाल के ऊर्जा मंत्री ने भारत से भारतीय निर्यात-आयात बैंक की लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत ट्रांसमिशन लाइन निर्माण के लिए अतिरिक्त फंडिंग का भी अनुरोध किया। नेपाल के पूर्वी हिस्से में कोसी कॉरिडोर और पश्चिमी हिस्से में मोडी-लेखनाथ ट्रांसमिशन लाइन जैसे बड़े प्रोजेक्ट ईएक्सआईएम बैंक की लाइन ऑफ क्रेडिट से बने हैं।
132 केवी सोलु कॉरिडोर परियोजना का संयुक्त उद्घाटन 2 अप्रैल 2022 को दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने किया था, जब नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने नई दिल्ली का दौरा किया था।
सोलु कॉरिडोर परियोजना में 90 किलोमीटर लंबी 132 केवी डबल-सर्किट ट्रांसमिशन लाइन और सबस्टेशनों का नेटवर्क शामिल है, जो पूर्वोत्तर नेपाल के दूर-दराज क्षेत्रों को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ता है। यह कॉरिडोर सोलु क्षेत्र में बने हाइड्रोपावर संयंत्रों से बिजली को राष्ट्रीय ग्रिड तक पहुंचाने और संपूर्ण ग्रिड की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
मंत्री ने भारत से यह भी अनुरोध किया कि नेपाल को भारत के डे-अहेड और रियल-टाइम बिजली बाजार में बिजली बेचने के लिए हर साल अनुमति नवीनीकृत करने की मौजूदा शर्त को हटाया जाए और एक बार दी गई अनुमति को स्थायी रूप से वैध कर दिया जाए।
बैठक में भारतीय कंपनियों द्वारा नेपाल में विकसित की जा रही बिजली परियोजनाओं से संबंधित कई समस्याओं पर भी चर्चा हुई। मंत्री ने बताया कि 669 मेगावाट लोअर अरुण और 900 मेगावाट अरुण-3 परियोजनाओं के लिए वन भूमि उपयोग से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए उनका मंत्रालय और नेपाल का निवेश बोर्ड आवश्यक समन्वय कर रहे हैं।
इन दोनों परियोजनाओं को भारत की सरकारी कंपनी एसएलवीएन लिमिटेड पूर्वी नेपाल में अरुण नदी पर विकसित कर रही है।
इस बीच, अतिरिक्त सचिव मुनु महावर ने नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की से भी मुलाकात की और नेपाल-भारत संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
–आईएएनएस
एएमटी/डीकेपी