नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन का उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना, घरेलू वैल्यू चेन को मजबूत करना और भारत के 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य को सपोर्ट करना है।
केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (एनसीएमएम) पर लिखे गए एक आर्टिकल पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने विस्तार से बताया है कि कैसे नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन आयात पर निर्भरता कम करने, घरेलू वैल्यू चैन को मजबूत करने और भारत के 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य को सपोर्ट करता है।”
कैबिनेट ने 16,300 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन को मंजूरी दे दी है। इसमें सरकारी कंपनियों द्वारा 18,000 करोड़ रुपये का निवेश किए जाने की उम्मीद है।
मिशन का उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर निर्भरता कम करना और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है।
कैबिनेट द्वारा स्वीकृत नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन में वैल्यू चेन के सभी चरण शामिल होंगे, जिसमें मिनरल की खोज, खनन, लाभकारीकरण, प्रसंस्करण और अंतिम उत्पादों से पुनर्प्राप्ति शामिल है।
यह मिशन देश के भीतर और इसके ऑफशोर क्षेत्रों में जरूरी मिनरल की खोज को तेज करेगा। आधिकारिक बयान के अनुसार, इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिज खनन परियोजनाओं के लिए एक फास्ट-ट्रैक विनियामक अनुमोदन प्रक्रिया बनाना है।
इसके अतिरिक्त, मिशन जरूरी मिनरल खोज के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करेगा और ओवरबर्डन और टेलिंग से इन मिनरल की रिकवरी को बढ़ावा देगा।
लिथियम, क्रोमियम, निकल, ग्रेफाइट, कोबाल्ट, टाइटेनियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे महत्वपूर्ण मिनरल इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन, रिन्यूएबल एनर्जी, रक्षा और हाई-टेक टेलीकम्युनिकेशन जैसे सेक्टरों के लिए आवश्यक कच्चे माल हैं।
वर्तमान में चीन जैसे देशों द्वारा जरूरी मिनरल की सप्लाई चेन को कंट्रोल किया जा रहा है।
वैकल्पिक सप्लाई चेन बनाने के लिए भारत को इस क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व को तोड़ना जरूरी है। मौजूदा समय में भारत इन मिनरल के लिए आयात पर निर्भर है और विदेशों में माइनिंग के अवसरों की तलाश कर रहा है।
–आईएएनएस
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