राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को 2025 में 5.41 लाख शिकायतें मिलीं, 23 प्रतिशत दक्षिणी राज्यों से : निधि खरे


नई दिल्ली, 14 जून (आईएएनएस)। उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को 2025 में 5.41 लाख शिकायतें मिलीं, जिनमें से 23 प्रतिशत शिकायतें दक्षिणी राज्यों से थीं, जो मजबूत क्षेत्रीय जुड़ाव को दर्शाता है।

भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए चेन्नई में ‘दक्षिणी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में उपभोक्ता संरक्षण’ पर एक क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए खरे ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज 28.54 लाख शिकायत के मामलों में से केवल 5.62 लाख मामले पेंडिंग हैं, जबकि दक्षिणी राज्यों में यह संख्या केवल 13.34 प्रतिशत है।

उन्होंने दक्षिणी राज्यों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि कर्नाटक और केरल आयोगों ने दर्ज मामलों से अधिक मामलों का निपटारा किया है और कई जिला आयोगों ने लगातार तीन वर्षों में 100 प्रतिशत से अधिक डिस्पोजल रेट हासिल किया है।

इसके अलावा, वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से 11,900 से अधिक मामलों की सुनवाई की गई।

अपने मुख्य भाषण में खरे ने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल युग में अनुकूलनीय कानूनी और डिजिटल तंत्र की आवश्यकता है। उन्होंने राइट टू रिपेयर पोर्टल, ई-जागृति और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को मजबूत बनाने जैसी पहलों के महत्व को रेखांकित किया, जो मुकदमे से पहले के चरण में उपभोक्ता शिकायतों के निवारण का त्वरित और परेशानी मुक्त तरीका है।

उन्होंने एआई-पावर्ड यूनिफाइड प्लेटफॉर्म ई-जागृति को लेकर कहा कि इसमें ई-दाखिल और कॉन्फोनेट जैसी प्रमुख प्रणालियों का इंटीग्रेशन किया गया है, जो चैटबॉट-बेस्ड रजिस्ट्रेशन, बहुभाषी पहुंच और कानूनी पेशेवरों और दिव्यांग यूजर्स के लिए सहायता जैसी सुविधाएं प्रदान करता है।

इसके अलावा, खरे ने डार्क पैटर्न, फर्जी समीक्षा और भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा उठाए गए नियामक कदमों पर भी प्रकाश डाला।

उद्घाटन सत्र के दौरान, एनसीडीआरसी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साहि ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के विकसित हो रहे दायरे और पारंपरिक न्यायालयों से उपभोक्ता आयोगों की ओर मुकदमेबाजी में बढ़ते बदलाव पर प्रकाश डाला।

–आईएएनएस

एसकेटी/


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