नागार्जुन ने पहचान लिया था राम गोपाल वर्मा का टैलेंट, अपनी फिल्म से दिया था पहला मौका

मुंबई, 28 अगस्त (आईएएनएस)। दक्षिण भारतीय अभिनेता नागार्जुन ने तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में एक अलग पहचान बनाई है। चार दशकों से अधिक के करियर में नागार्जुन ने एक्शन, रोमांस, ड्रामा और ऐतिहासिक फिल्मों में शानदार भूमिकाएं निभाई हैं। 29 अगस्त को उनका जन्मदिन है।
वे ‘शिवा’, ‘शिवामणि’, ‘मास’, ‘डॉन’, ‘अनामया’, ‘मंजुलिका’ और ‘सत्यभामा’ जैसी कई हिट फिल्मों के लिए याद किए जाते हैं। नागार्जुन ने न सिर्फ तेलुगु बल्कि हिंदी और तमिल फिल्मों में भी काम किया है, और उनकी फैन फॉलोइंग पूरे भारत में है। अपने करियर में उन्होंने कई अवॉर्ड जीते और इंडस्ट्री में किंग के नाम से भी मशहूर हैं।
नागार्जुन ने अपने करियर में 90 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। ‘निन्ने पेल्लादाता’ और ‘अन्नामय्या’ के लिए उन्हें दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, नागार्जुन को दस नंदी पुरस्कार और तीन फिल्मफेयर दक्षिण पुरस्कार भी मिल चुके हैं। साल 2013 में भारतीय सिनेमा के 100 वर्ष पूरे होने पर दिल्ली फिल्म महोत्सव में उन्होंने दक्षिण भारतीय सिनेमा का प्रतिनिधित्व किया।
फिल्मों के अलावा नागार्जुन एक सफल निर्माता और व्यवसायी भी हैं। उनकी प्रोडक्शन कंपनी अन्नपूर्णा स्टूडियोज तेलुगु सिनेमा के प्रमुख फिल्म स्टूडियोज में से एक है। वो नई प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें मौका देने के लिए भी जाने जाते हैं।
1989 में उन्होंने ऐसा ही किया। उन्होंने राम गोपाल वर्मा का टैलेंट पहचाना और उनके साथ फिल्म बनाई थी। राम गोपाल वर्मा ने इससे पहले कोई फिल्म निर्देशित नहीं की थी। उस समय नागार्जुन अपने करियर के चरम पर थे और उनके पास कई सफल फिल्में थीं, लेकिन उन्होंने राम गोपाल वर्मा के अनोखे विचार पर भरोसा दिखाया।
इस फिल्म का नाम था ‘शिवा’। यह एक एक्शन-ड्रामा फिल्म थी जो एक छात्र नेता के जीवन पर आधारित थी। फिल्म की कहानी, उसका निर्देशन और नागार्जुन का दमदार अभिनय इतना प्रभावशाली था कि इसने तेलुगु सिनेमा में एक नया ट्रेंड शुरू कर दिया। ‘शिवा’ तेलुगु सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म ने नंदी अवॉर्ड में उस साल दो पुरस्कार पाए थे। इस फिल्म के हिंदी रीमेक से नागार्जुन ने बॉलीवुड में कदम रखा था। राम गोपाल वर्मा ने इसके बाद कई यादगार फिल्में बनाईं। उन्हें ‘कंपनी’, ‘सत्या’, ‘शूल’, ‘रंगीला’ जैसी यादगार फिल्में देने के लिए जाना जाता है।
नागार्जुन ने इस फिल्म का हिंदी रीमेक भी बनाया, जिसने उन्हें पूरे भारत में एक नया स्टारडम दिया। इस फिल्म की सफलता ने न केवल नागार्जुन को एक सुपरस्टार के रूप में स्थापित किया, बल्कि इसने राम गोपाल वर्मा जैसे प्रतिभाशाली निर्देशक को भी भारतीय सिनेमा में एक बड़ा नाम बना दिया। नागार्जुन ने बाद में भी कई नए और युवा निर्देशकों को मौका दिया।
–आईएएनएस
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