संगीत और सिनेमा के दिग्गज आनंद शंकर और दिलीप कुमार ने अपनी कला से दुनिया भर में किया राज

मुंबई, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय कला और संस्कृति ने हमेशा ही दुनिया में अपनी अनूठी पहचान बनाई है। संगीत और सिनेमा के क्षेत्र में कई ऐसे कलाकार हुए हैं, जिन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। ऐसे ही दो मशहूर कलाकार थे आनंद शंकर और दिलीप कुमार। दोनों ने अपने-अपने क्षेत्र में जो मुकाम हासिल किया, उसकी चमक दुनिया भर में दिखाई दी।
आनंद शंकर का जन्म 11 दिसंबर 1942 को उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा में हुआ था। उनके माता-पिता, उदय शंकर और अमला शंकर, दोनों ही प्रसिद्ध नर्तक थे, और उनके चाचा पंडित रवि शंकर जाने-माने सितार वादक थे। बचपन से ही आनंद का जीवन कला और संगीत के बीच गुजरा।
उन्होंने सितार की शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लालमणि मिश्र से ली। 1960 के दशक में आनंद शंकर अमेरिका चले गए, और लॉस एंजेलिस में उन्होंने कई पॉप और रॉक कलाकारों के साथ काम किया। उनके संगीत में भारतीय शास्त्रीय और पश्चिमी रॉक का अनूठा मिश्रण देखने को मिला। 1970 में उनका पहला एल्बम ‘अनंदा शंकर’ आया, जिसमें उन्होंने लोकप्रिय पश्चिमी गानों को सितार के साथ प्रस्तुत किया।
इसके बाद 1975 में उन्होंने ‘अनंदा शंकर एंड हिज म्यूजिक’ जारी किया, जो जैज-फंक और भारतीय शास्त्रीय संगीत का बेहतरीन संगम था। उनके संगीत ने न सिर्फ भारत में बल्कि लंदन और लॉस एंजेलिस जैसे शहरों में भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। वहीं, दिलीप कुमार की बात करें, तो उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। उनका असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था। उन्हें भारतीय सिनेमा का ‘ट्रैजेडी किंग’ कहा जाता है।
उन्होंने अपनी अदाकारी के दम पर न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई।
1940 के दशक में अपने करियर की शुरुआत करने वाले दिलीप कुमार ने बॉलीवुड के सुनहरे दौर में कई यादगार और क्लासिक फिल्में दीं। ‘जवानी’, ‘देवदास’, ‘मुगल-ए-आजम’, ‘गंगा-जमुना’, ‘क्रांति’ और ‘कोहिनूर’ जैसी फिल्मों से दर्शकों को दीवाना बना दिया। इन फिल्मों ने न केवल भारतीय सिनेमा को नया मुकाम दिया, बल्कि उनकी अदाकारी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया।
दिलीप कुमार की फिल्मों को यूरोप, अमेरिका और एशिया के कई देशों में प्रदर्शित किया गया, और विदेशों के सिनेमाघरों में भी उनके प्रदर्शन को काफी सराहना मिली। उन्होंने भारतीय फिल्मों के माध्यम से अपने देश की संस्कृति, भावनाओं और कहानियों को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, जिससे भारतीय सिनेमा का नाम ग्लोबल मंच पर चमका।
उनकी कला और योगदान को पहचानते हुए भारत सरकार ने उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया। उन्होंने आठ बार फिल्मफेयर अवॉर्ड्स जीते और 1994 में उन्हें सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया। भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
आनंद शंकर का निधन 56 साल की उम्र में 26 मार्च 1999 को कोलकाता में हुआ। वहीं दिलीप कुमार का निधन 98 साल की उम्र में 7 जुलाई 2021 को हुआ। दोनों ने अपने जीवन में कला और संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
–आईएएनएस
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