टेलीग्राम एप्लीकेशन के जरिए देश भर के लोगों को टास्क पूरा करने और निवेश कराने के नाम पर से 250 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले साइबर ठग पुलिस ने गिरफ्तार कर लिए। दोनों गुजरात के अहमदाबाद निवासी हैं। इन्होंने चीन के आइपी एड्रेस से सऊदी अरब में एप तैयार कराकर ठगी की इस बड़ी वारदात को अंजाम दिया है।
एसपी क्राइम सुभाष चंद्र गंगवार ने बताया कि साइबर अपराध थाने की टीम ने गुजरात के अहमदाबाद की जय जगन्नाथ कॉलोनी निवासी मैकेनिकल इंजीनियर सादरिया मिलन और दूसरा साइबर ठग हाईस्कूल फेल अर्जुन सिंह है। वह गुजरात के अहमदाबाद के ग्रीन बुलवाली नीचाली कांशीराम मिल के पास रहता है। उन्होंने बताया कि रामपुर निवासी चेतना नाम की महिला ने साइबर अपराध थाने थाने में केस दर्ज कराया था।
चेतना ने बताया था कि टेलीग्राम एप्लीकेशन पर आदर्श नाम के यूजर ने घर बैठे दो घंटे काम करने पर 10 हजार रुपये प्रति दिन कमाने का लालच दिया था। महिला ने इस पर विश्वास किया और फ्री में एप्लीकेशन अपलोड कर लिया था। इसके बाद महिला को 698 रुपये का लाभ हो गया। ठग ने दस हजार रुपये का टास्क दिया।
महिला ने इस टास्क का पूरा किया तो महिला के खाते में 17 हजार 824 रुपये आ गए थे। इसके बाद साइबर ठग ने महिला को लालच दिया कि अगर वह निवेश करेंगी तो टास्क पूरा करने से भी ज्यादा लाभ मिलेगा। महिला ठग के झांसे में आ गई थी। उसने 10 और 25 हजार रुपये का निवेश किया। इससे 47 हजार 945 रुपये मिले।
छह से दस अक्तूबर 2023 के बीच महिला ने 15 लाख 2 हजार 6212 रुपये निवेश किए लेकिन, इस बार कुछ नहीं मिला। साइबर थाने की टीम ने जांच की तो ठगी करने वालों की परतें खुलती गईं। छानबीन के दौरान पता लगा कि एप सऊदी अरब में बनाई गई है। एप पर लोगों को गेम्स खेलकर रकम कमाने का लालच देकर फंसाया जाता है।
इतना नहीं एप चीन की आईपी एड्रेस पर तैयार किए गए थे। पुलिस टीम जांच पड़ताल करते हुए ठगों तक पहुंच गई। पुलिस पूछताछ में ठगों ने बताया कि वह अपने अन्य साथियों के साथ अब तक 250 करोड़ की ठगी कर चुके हैं। बुधवार शाम पुलिस ने ठगों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया है।
नीलेश और विपुल शाह हैं इस गिरोह के मास्टर माइंड
एसपी क्राइम बताया इस गिरोह के सरगना विपुल शाह और नीलेश हैं। इन्होंने अन्य सदस्यों को अलग अलग काम बांट रखे हैं। सादरिया मिलन लोगों के पैन कार्ड, आधार कार्ड का इस्तेमाल करके एमएसएमई फर्म का लाइसेंस लेता था। इसके बाद वो एपीएमसी का लाइसेंस लेता था। इन लाइसेंस की मदद से साइबर ठगों का बैंक से कैश निकालकर टीडीएस फ्री हो जाता था।
इस तरह फर्जी फर्म के माध्यम से गैंग साइबर ठगी से बैंक खातों में जुटाई गई अपनी रकम को बिना टीडीएस कटे निकाल लेता था। गरीबों से जुटाए गए दस्तावेजों से अपूर्व, कैतुल और मनोज बैंकों में जाकर खाते खुलवाते थे। बैंक में सेटिंग से वेरिफिकेशन भी करा लेते थे।
चीन से लेकर सऊदी अरब तक फैला को नेटवर्क
एसपी क्राइम सुभाष चंद्र गंगवार ने बताया कि इस गिरोह का नेटवर्क चीन से लेकर सऊदी अरब तक फैला है। गिरोह ने चीन के आईपी एड्रेस से सऊदी अरब तक एप तैयार कराए हैं। गुजराज के अहमदाबाद में बैठ कर ठगी कर रहे हैं। लोगों को झांसा देकर रकम मंगवाते हैं।
जिन खातों में ठगी की रकम जा रही है, उनमें से साइबर ठग प्रति दिन बैंकों से करीब 40 से 48 लाख रुपये निकाल रहे थे। बैंक से रुपये निकालकर बाहर आकर मिलन, राना अर्जुन, निलेश व विपुल एवं समद नाम के व्यक्ति को देते थे। समस्त प्रकरण में सभी को अपना – अपना कमीशन रितेश के कार्यालय से दिया जाता था।