मिथुन चक्रवर्ती का 'मृगया' से पद्म भूषण तक का दिलचस्प सफर

मिथुन चक्रवर्ती का 'मृगया' से पद्म भूषण तक का दिलचस्प सफर

नई दिल्ली, 26 जनवरी (आईएएनएस)। मृणाल सेन की फिल्म में संथाल विद्रोही की भूमिका निभाने से लेकर डिस्को डांसर के रूप में पहचान बनाने और कम्युनिस्ट से लेकर भाजपा नेता बनने तक ऊटी निवासी मिथुन चक्रवर्ती ने एक भीड़-भाड़ वाली और रंगीन जिंदगी जी है, जिसे आखिरकार स्वीकार किया गया है। राष्ट्रपति ने उन्हें प्रतिष्ठित पद्म भूषण देकर सम्‍मानित किया।

16 जून 1950 को कोलकाता में जन्मे मिथुन ने 1976 में समीक्षकों द्वारा प्रशंसित मृणाल सेन की फिल्म ‘मृगया’ से अभिनय की शुरुआत की। उनकी बड़े पर्दे की यात्रा एक आकर्षक यात्रा है और उन्हें ड्रामा, एक्शन और नृत्य सहित विभिन्न शैलियों के बीच सहज रूप से बदलाव करने की उनकी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाना जाता है।

वास्तव में, मिथुन की फिल्मोग्राफी उनकी बहुमुखी प्रतिभा और स्थायी अपील का प्रमाण है। यहां आईएएनएस द्वारा उनकी सबसे यादगार फिल्मों का चयन किया गया है।

‘मृगया’ : अभिनेता का सिनेमा में प्रवेश 1976 में ब्रिटिश राज पर आधारित ऐतिहासिक फिल्म ‘मृगया’ से शुरू हुआ, जिसका निर्देशन मृणाल सेन ने किया था। एक संथाल विद्रोही के किरदार में युवा और ताकतवर मिथुन ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलाया।

‘मेरा रक्षक’ : 1978 की एक्शन से भरपूर इस फिल्म में, मिथुन ने एक सतर्क व्यक्ति की भूमिका निभाकर अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और एक्शन सिनेमा के क्षेत्र में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।

‘डिस्को डांसर’: बब्बर सुभाष द्वारा निर्देशित 1982 की डांस फिल्म में मिथुन और किम यशपाल प्रमुख भूमिकाओं में हैं। यह प्रतिष्ठित फिल्म, जो बप्पी लाहिरी के प्रमुख और पार्टी पसंदीदा जैसे ‘जिमी जिमी जिमी आजा’, ‘आई एम ए डिस्को डांसर’, ‘याद आ रहा है’ और ‘कोई यहां नाचे नाचे’ के संगीत के लिए जानी जाती है। इस फिल्‍म को न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्‍यार मिलाा।

‘शौकीन’ :1982 की कॉमेडी फिल्म में मिथुन के अभिनय के साथ हास्य को संतुलित करने की क्षमता दिखाई गई, जिससे उन्हें रिश्तों के जाल में फंसे एक युवा व्यक्ति (रवि आनंद) के चित्रण के लिए प्रशंसा मिली। इसमें दिग्गज अशोक कुमार, उत्पल दत्त, एके. हंगल और रति अग्निहोत्री भी शामिल थे।

‘डांस डांस’ : जॉन टैवोल्टा के क्लासिक ‘सैटरडे नाइट फीवर’ से प्रेरित डिस्को युग की सफलता पर सवार होकर 1987 की इस फिल्म ने मिथुन की ‘डिस्को डांसर’ के रूप में स्थिति को और मजबूत किया और उनके कुछ सबसे यादगार डांस मूव्‍स को प्रदर्शित किया। इस संगीतमय फिल्म में स्मिता पाटिल और मंदाकिनी भी थीं। फिल्म का संगीत 1980 के दशक की इटालो डिस्को शैली से प्रेरित था।

‘अग्निपथ’ : मुकुल आनंद द्वारा निर्देशित 1990 की इस एक्शन क्राइम ड्रामा में मिथुन चक्रवर्ती ने कृष्णन अय्यर एमए का गहन चित्रण किया। फिल्म की समग्र सफलता में योगदान देते हुए एक स्थायी प्रभाव छोड़ा। इसमें अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में थे।

‘ताहादेर कथा’ : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित बुद्धदेब दासगुप्ता द्वारा निर्देशित 1992 के इस बंगाली नाटक में, मिथुन ने एक सम्मोहक प्रदर्शन करते हुए अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, जिसने कहानी में गहराई जोड़ दी। उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला।

‘स्वामी विवेकानन्द’ : 1998 में आई इस फिल्म में चक्रवर्ती ने स्वामी विवेकानन्द के आध्यात्मिक गुरु श्री रामकृष्ण का किरदार निभाया था, जो ऐतिहासिक महत्व की भूमिकाओं को संभालने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। फिल्म में सर्वदमन बनर्जी ने स्वामी विवेकानन्द की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म के लिए मिथुन ने इस बार सहायक अभिनेता के लिए अपना तीसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।

‘गुरु’ : 2007 की मणिरत्नम की इस फिल्म में अखबार के संपादक नानाजी माणिक दासगुप्ता के रूप में मिथुन की भूमिका को समीक्षकों द्वारा सराहा गया, जिसमें कलाकारों की टोली में भी चमकने की उनकी क्षमता प्रदर्शित हुई। इसमें अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय मुख्य भूमिका में थे।

‘फिर कभी’ : 2009 की इस रोमांटिक फिल्म में, मिथुन ने अपने परिपक्व प्रदर्शन से दर्शकों को प्रभावित करना जारी रखा, जिससे उद्योग में उनकी स्थायी प्रासंगिकता साबित हुई। वीके. प्रकाश द्वारा निर्देशित इस फिल्म में डिंपल कपाड़िया और रति अग्निहोत्री हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एबीएम

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