मैककेन इंडिया का मुनाफा वित्त वर्ष 24 में 29 प्रतिशत घटा


नई दिल्ली, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। फ्रोजन फ्रेंच फ्राइज और आलू टिक्की जैसे स्नैक्स बनाने वाली कंपनी मैककेन इंडिया के मुनाफे में वित्त वर्ष 24 में 29 प्रतिशत की गिरावट हुई है। इसकी वजह विज्ञापन लागत और मैनेजमेंट फीस में बढ़ोतरी होना है।

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास जमा कराए गए वित्तीय विवरणों के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में कंपनी को कुल 89 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था, जो कि इससे पिछले वित्त वर्ष में 126 करोड़ रुपये पर था। हालांकि, कंपनी की आय में मामूली बढ़त हुई है।

कंपनी के मुनाफे में यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब विज्ञापन खर्च में 63 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है, जो बढ़कर 88 करोड़ रुपये हो गया है। मैनेजमेंट फीस और अन्य परिचालन लागतों में भी बढ़ोतरी देखी गई, जिससे कंपनी के मार्जिन पर असर हुआ है।

वित्त वर्ष 24 में कंपनी का कुल खर्च बढ़कर 1,125 करोड़ रुपये हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 23 में 1,020 करोड़ रुपये था।

वित्त वर्ष 24 में मैककेन इंडिया के लिए सामग्री खरीद सबसे बड़ा लागत घटक रहा, जो कुल खर्च का लगभग 44 प्रतिशत या 493 करोड़ रुपये था।

कर्मचारी लागत में भी 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि ईंधन, माल ढुलाई, स्टोरेज और कॉन्ट्रैक्ट लेबर पर अतिरिक्त व्यय ने कंपनी की लागत को बढ़ा दिया है।

इन चुनौतियों के बावजूद कंपनी की आय में 3 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली। परिचालन से आय वित्त वर्ष 23 में 1,172 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 1,214 करोड़ रुपये हो गई है।

जमा पर ब्याज और अन्य स्रोतों से होने वाली आय को मिला दिया जाए तो वित्त वर्ष 24 में कंपनी की कुल आय 1,245 करोड़ रुपये रही है, जो कि पिछले वित्त वर्ष में 1,189 करोड़ रुपये थी।

1998 में भारतीय बाजार में प्रवेश करने वाली मैककेन फ्रोजन स्नैक्स सेगमेंट में एक प्रमुख कंपनी बन गई है।

कंपनी अपने उत्पादों को रिटेल स्टोर्स, रेस्तरां और ब्लिंकिट, स्विगी इंस्टामार्ट और जेप्टो जैसे क्विक कॉमर्स प्लेटफार्मों के माध्यम से बेचती है।

रिपोर्टों के अनुसार, भारत में तले हुए स्नैक्स का बाजार मजबूत बना हुआ है, मैककेन के लिए लंबी अवधि की सफलता छोटे शहरों में अपनी पहुंच का विस्तार करने और अपने कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने पर निर्भर करती है।

रिपोर्टों के अनुसार, 15.28 प्रतिशत की आरओसीई और 4.58 प्रतिशत के ईबीआईटीडीए मार्जिन के साथ भी, वित्त वर्ष 24 में मुनाफे में आई गिरावट यह संकेत देती है कि कंपनी को बढ़ती हुई लागत का बेहतर ढंग से प्रबंधन करना चाहिए।

–आईएएनएस

एबीएस/


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