हमें कोई पद मिले न मिले, सुकून-ए-दिल मिले, दहशत की जिंदगी न मिले : आजम खान


रामपुर, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार चुनाव को लेकर महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को सीएम पद का उम्मीदवार और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। लेकिन, बिहार में सवाल उठ रहे हैं कि 14 फीसदी आबादी वाले को सीएम और 2.5 फीसदी मल्लाह आबादी वाले को डिप्टी सीएम का चेहरा घोषित कर दिया गया है। वहीं, 19 फीसदी मुसलमान आबादी से कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। इस पर आजम खान ने कहा कि हमें कोई पद मिले न मिले, सुकून-ए-दिल मिले, दहशत की जिंदगी न मिले।

आईएएनएस से बातचीत में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ने कहा कि मैं जानता हूं कि यह सवाल कहां से आया है और जिन्होंने सवाल उठाया, मैं उन्हें भी जानता हूं। मैं उन पर कोई कटाक्ष नहीं कर रहा हूं, उनसे मेरे बहुत अच्छे ताल्लुकात हैं। उनसे मेरा पुराना रिश्ता रहा है। उनका रिश्ता और उनकी सियासत से मेरा नाता हमेशा गहरा रहा है। लेकिन, इतने ताकतवर होने के बावजूद भी वे अपने राज्य में कोई बड़ा इंकलाब नहीं ला सके। उसकी बहुत सी वजहें होंगी, इस पर बहस करने का अभी समय नहीं है। सवाल यह नहीं है कि हमारी जनसंख्या ज्यादा है तो वजीर-ए-आजम की दावेदारी की जाए, हां यह करना किसी हद तक ठीक हो सकता है। आज उससे बड़ी चीज है। घर से बाहर निकलने के बाद हमारा बच्चा सुरक्षित लौट आए, इसका हमें सुकून मिले। हम तो यह चाहते हैं। हमारे सामने डिप्टी सीएम बनना कोई बड़ी बात नहीं है। आज की राजनीति में तो डिप्टी सीएम वे बन जाते हैं, जिन्हें प्रधान भी नहीं बनना चाहिए।

आजम खान ने इनकार किया है कि मुसलमान वोट के लिए इस्तेमाल होते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग इस्तेमाल होते हैं, उनके पीछे कोई वजह होती होगी। लेकिन यह कहना कि मुसलमान सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल होते हैं, बहुत तौहीन की बात है। हम खुद इस्तेमाल होने के लिए नहीं, बल्कि अपने हक के लिए काम करते हैं। अगर उत्तर प्रदेश में हमसे कहा गया कि हम इस्तेमाल हुए, तो यह गलत है, हमने तो अपने वोट का सही इस्तेमाल किया और जिन सरकारों को हमने चुना, उनसे बुनियादी काम करवाए।

उन्होंने कहा कि 1980 में जब मैं पहली बार विधायक बना था, यहां की सड़कें देहात से बदतर थीं। यहां 95 फीसदी मकान कच्चे थे, सड़कें नहीं थीं। 8-10 साल में जो कुछ बनाया था, उसकी मरम्मत तक ये लोग नहीं करा सके। बच्चियों को पढ़ाने के लिए हमने बड़े-बड़े स्कूल बनवाए थे, फीस लेते थे, सरकारी तर्ज पर फीस लेते थे, पढ़ाते थे। 99 साल की लीज पर स्कूल थे, वे रातोंरात खाली कराए गए। लाखों का फर्नीचर वापस नहीं कराया गया। हमने बहुत कुछ किया था। आज भी यहां की आवाम जानती है।

महागठबंधन में ओवैसी को शामिल नहीं किए जाने पर सपा नेता ने कहा कि अब देखिए, शामिल करने वालों ने क्यों नहीं जगह दी और चाहने वालों ने क्यों नहीं चाहा, इस पर मैं क्या कह सकता हूं? मैं तो उस प्रक्रिया में शामिल भी नहीं था। मुसलमानों की सही नुमाइंदगी वही हो जो होनी चाहिए, सिर्फ टोपी पहनने से कोई मुसलमानों का नुमाइंदा नहीं बन जाता। सिर्फ टोपी पहनकर बैठ जाने से कोई मुसलमानों का नुमाइंदा नहीं हो जाता। हमने तो यह भी देखा है कि राजनीतिक दलों के अल्पसंख्यक सम्मेलनों में लोग जेब में टोपी रखकर आते हैं, सम्मेलन चलते समय टोपी पहन लेते हैं, और जैसे ही सम्मेलन खत्म होता है, टोपी फिर जेब में चली जाती है। फिर उनका धर्म कुछ और हो जाता है। नुमाइंदगी ऐसी होनी चाहिए कि हां, यह इस समुदाय को रिप्रेजेंट कर रहा है।

उन्होंने डिप्टी सीएम पद को लेकर कहा कि संविधान में ऐसा कोई पद नहीं है, यह तो सिर्फ दिल बहलाने के लिए बना दिया जाता है। अब आप उत्तर प्रदेश को ही देख लीजिए, वहां दो डिप्टी सीएम रहे, लेकिन बेचारे लाचार हैं, अपने विभाग में उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। रोज रोना सुनाया जाता है। क्या फायदा है? जब तक यह एक संवैधानिक पद न हो और जब तक संविधान में इसका प्रावधान शामिल न किया जाए, तब तक डिप्टी सीएम असल में कोई पद होता ही नहीं है।

–आईएएनएस

डीकेएम/एबीएम


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