नए साल के मौके पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने जारी किया फतवा, महंत सूर्यानंद मुनि और कशिश वारसी ने किया पलटवार


हरिद्वार/मुरादाबाद, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने फतवा जारी किया है और नए साल के जश्न को शरीयत के खिलाफ बताया है। इस पर इंडियन सूफी फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कशिश वारसी और सचिन बड़ा उदासीन अखाड़ा के महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश महाराज और महंत सूर्यानंद मुनि ने पलटवार किया है।

इंडियन सूफी फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कशिश वारसी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि मौलाना शहाबुद्दीन रजवी को चर्चाओं में आए हुए बहुत दिन हो गए थे। यह उनकी मजबूरी है। ये तो मोहर्रम को भी नाजायज बताते हैं, ताजिए को नाजायज कहते हैं। इन्होंने नाजायज शब्द बोलना सीख लिया है।

उन्होंने कहा कि इस्लाम दूसरों की खुशियों में शामिल होना सिखाता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारा नया साल गम-ए-हुसैन से शुरू होता है, हिंदू भाइयों का नया साल चैत्र से शुरू होता है, और हम उसे भी मनाते हैं। ईसाइयों का नया साल एक जनवरी से शुरू होता, और हम इसे भी मनाते हैं।

मैं हर मजहब के लोगों से अपील करता हूं कि हर मजहब शराब पीने से मना करता है, गुनाह और हुड़दंग से भी मना करता है। नया साल मनाइए, मोहब्बत और प्यार का पैगाम दीजिए। नया साल इस तरह मनाया जाना चाहिए कि इस कड़ाके की ठंड में गरीबों को कपड़े दान किए जाएं। उनके लिए कुछ अच्छी व्यवस्था की जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग बांटने की बात करते हैं, हम उनके साथ नहीं रहते हैं। शरीयत में इसका कोई जिक्र नहीं है। हम उनके फतवे को नहीं मानते हैं। मुझे उनकी सोच पर अफसोस है। मुसलमानों से अपील है कि ऐसे लोगों से बचें।

महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। इस व्यस्त जिंदगी में कोई खुशी मनाने के लिए थोड़ा समय निकाल ले तो अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि सनातनियों का नया साल नवरात्रि से शुरू होता है। खुशियां मनाने के लिए हमने तो एक-एक दिन देवी-देवताओं के नाम पर रख दिए हैं। खुशियां कभी भी मनाने में कोई दिक्कत नहीं है। मौलाना और मौलवियों को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए।

महंत सूर्यानंद मुनि का कहना है कि यह कैलेंडर का नया साल है। यह हमारा नया साल नहीं है। इस्लाम में भी यह नया साल नहीं है। मौलाना ठीक कह रहे हैं, लेकिन उनकी बात मानता कौन है? वे तुगलकी फरमान जारी कर रहे हैं कि नाचना-गाना नहीं, इसे मानने को कोई तैयार नहीं है। एक जनवरी को नया साल मनाने का प्रचलन है, ऋतु परिवर्तन के बाद हमारा नया साल शुरू होता है।

उन्होंने कहा कि यह ईसाइयों का नया साल है। खुशी मनाने में कोई आपत्ति नहीं है। हम दूसरों की खुशियों में खुश रहते हैं। हम ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ को मानने वाले लोग हैं। उन्हें यह फरमान जारी नहीं करना था और इसे मानने वाला भी कोई नहीं है। इस तरह के प्रतिबंध लगाना गलत है।

–आईएएनएस

एएमटी/डीकेपी


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