'मसान' के निर्देशक नीरज घेवन ने की साउथ फिल्म इंडस्ट्री की तारीफ, बोले- ‘जड़ों से जुड़े होते हैं किरदार’

मुंबई, 16 फरवरी (आईएएनएस)। स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसडब्ल्यूए) द्वारा आयोजित भारतीय पटकथा लेखक सम्मेलन (आईएससी) के 7वें संस्करण में फिल्म निर्माता-निर्देशक नीरज घेवन ने शिरकत की। जहां उन्होंने बताया कि साउथ की फिल्में अच्छा प्रदर्शन करने में सफल क्यों हैं।
‘मसान’ के निर्देशक ने बताया कि दक्षिण की फिल्में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, क्योंकि वे सतही किरदारों की तुलना में जीवंत अनुभवों को प्राथमिकता देती हैं।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री इतना अच्छा प्रदर्शन इसलिए कर रही है, क्योंकि उनके किरदार जड़ों से जुड़े हुए हैं और वास्तविक हैं। यहां (बॉलीवुड में) किरदारों को एक खास दर्शकों के लिए बनाया जाता है। इसे बांद्रा से होकर गुजरना पड़ता है। यह वास्तविक नहीं लगता। एक खास दर्शकों के लिए फिल्म को खास बनाने की प्रक्रिया में वह चीजें खो जाती हैं, जो उसे वास्तविक बनाती है।”
‘मिसेज’ और ‘आर्या’ की लेखिका अनु सिंह चौधरी ने ‘अल्टरनेटिव रियलिटी’ नाम के एक सीजन को आयोजित किया, जिसमें नीरज घेवन ने फिल्मों के लिए ‘इंडिपेंडेंट फंडिंग’ की कमी पर भी ध्यान दिया- जो यूरोप में तो है, लेकिन भारत में नहीं। उन्होंने कहा कि इससे इंडी सिनेमा के लिए सफल होना मुश्किल हो गया है।
फिल्म निर्माता ने खुलासा किया, “चुनौती यह है कि स्टूडियो के साथ अपनी ईमानदारी को बरकरार रखते हुए आप जो चाहते हैं, उसे बनाएं। संगीत या किसी खास अभिनेता को कास्ट करके ही रिकवरी आती है। आपको अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।”
नीरज घेवन के साथ पैनल चर्चा में फिल्म निर्माता शूजित सरकार, मेघा रामास्वामी और कनु बहल भी शामिल हुए।
‘तितली’ और ‘आगरा’ जैसी फिल्मों के लिए मशहूर कनु बहल ने कहा, “स्वतंत्र सिनेमा खत्म हो चुका है। यह एक ऐसा ब्लैक होल है, जहां आपको नहीं पता कि आप जो भी काम कर रहे हैं, वह कभी बनेगा या नहीं।”
भारतीय पटकथा लेखक सम्मेलन के सातवें संस्करण में शूजित सरकार, सी प्रेम कुमार, क्रिस्टो टॉमी, हेमंत एम राव, विवेक अथरेया, विश्वपति सरकार और आनंद तिवारी जैसे प्रसिद्ध पटकथा लेखक और रचनाकार शामिल हुए और अपने अनुभव को शेयर किया। उन्होंने बताया कि वे इंडस्ट्री की बदलती स्थिति और इसकी ‘नई वास्तविकता’ से कैसे निपटते हैं।
–आईएएनएस
एमटी/एएस