विधायिका की तीन प्रमुख जिम्मेदारियां होती हैं। इसमें सबसे पहली कानून बनाने के लिए विधेयक पारित करना। दूसरी, जनहित के मुद्दों पर चर्चा करना। तीसरी, सरकार की जवाबदेही तय करना। 17वीं लोकसभा में इन जिम्मेदारियों पर खूब काम हुआ। पौने दो सौ से ज्यादा विधेयक पास हुए। जनहित में 13 सौ से ज्यादा घंटे तक चर्चा हुई। सांसदों ने भी जनता के हित में संसद में जमकर सवाल उठाए। इनके जवाब में सरकार ने नीतियों के बारे में जानकारी दी।
इस तरह सरकार पहचानती है राष्ट्र की नब्ज
सामान्यता लोकसभा की बैठक का पहला घंटा प्रश्नों के लिए होता है। इसे प्रश्नकाल कहा जाता है। इसका संसद की कार्यवाही में विशेष महत्व होता है। प्रश्नकाल के दौरान सदस्य प्रशासन और सरकार के कार्यकलापों के प्रत्येक पहलू पर प्रश्न पूछ सकते हैं। इस दौरान सरकार को कसौटी पर परखा जाता है जिस मंत्रालय से संबंधित सवाल होता है, उसके मंत्री को उत्तर देना होता है। प्रश्नकाल के माध्यम से सरकार राष्ट्र की नब्ज को पहचानती है। तदनुसार अपनी नीतियों को उसके अनुरूप ढाल लेती है।
- 17वीं लोकसभा में 274 सत्र आयोजित किए गए। इस दौरान 1354 घंटे कार्यवाही चली।
- 179 बिल पारित किए गए इस बार की लोकसभा में । वित्त और गृह मंत्रालय ने सबसे अधिक 15 प्रतिशत, कानून एवं न्याय मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय ने नौ-नौ प्रतिशत बिल पारित किए।
- 1,700 बैठकें कीं पार्लियामेंटरी कमेटी (तीन फाइनेंस कमेटी और 24 विभाग संबंधी कमेटी) ने।
- 79% सांसदों की उपस्थिति रही। पिछली बार यह आंकड़ा 80% था।
- 729 निजी सदस्य विधेयक पेश किए गए। केवल दो निजी सदस्य विधेयकों पर ही सदन न में चर्चा हुई। मंत्रियों द्वारा: 26,750 पत्र सदन पटल पर रखे गए।
- 4,663 तारांकित प्रश्न सूचीबद्ध हुए। इनमें से 1,116 प्रश्नों का उत्तर मौखिक रूप से दिया गया। इसी अवधि में 55,889 अतारांकित प्रश्न भी पूछे गए।
प्रमुख विधेयक
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेय- 2019
- सीईसी नियुक्ति बिल- 2023
- डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक- 2023
- नारी शक्ति वंदन विधेयक- 2023
- तीन कृषि कानून (जिन्हें बाद में निरस्त कर दिया गया।)
सांसदों का निलंबन
- 115 सांसदों के निलंबन का रिकार्ड भी बना। इसमें से 100 सांसदों का निलंबन 2023 के शीतकालीन सत्र में हुआ।
- पिछली लोकसभा में 81 सांसदों का निलंबन हुआ था।
डिजिटल प्रौद्योगिकी
17वीं लोकसभा में डिजिटल प्रौद्योगिकी से अधिक सूचनाएं इलेक्ट्रानिक माध्यम से दी गईं। दरअसल, पेपर रहित कार्यालय की परिकल्पना को साकार करते हुए संसदीय कार्यों में डिजिटल टेक्नोलाजी का अधिकतम उपयोग किया जा रहा है।
सबको दिया समान अवसरः बिरला
संसदीय चुनावों की घोषणा से पहले बजट सत्र 17वीं लोकसभा का आखिरी सत्र था। समापन के मौके पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों को समान अवसर दिया।
कितने प्रतिशत विधेयक के पारित होने में लगा कितना समय?
- 58% विधेयक पेश किए जाने के दो सप्ताह के भीतर पारित हो गए।
- 35% विधेयक तो एक घंटे से भी कम की चर्चा अवधि में ही पारित हो गए।
- 20% से भी कम विधेयक समितियों को भेजे गए।
- 16% विधेयक ही विस्तृत संवीक्षा को समितियों को भेजे गए।