लो-डोज एमिसिज़ुमैब भी हीमोफीलिया ए में प्रभावी, इलाज होगा सस्ता : अध्ययन

नई दिल्ली, 24 जून (आईएएनएस)। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन में पाया गया कि हीमोफीलिया ए (जेनेटिक ब्लीडिंग डिसऑर्डर) के इलाज में कम खुराक की दवा एमिसिज़ुमैब उतनी ही प्रभावी हो सकती है, जितनी मानक खुराक।
यह दवा रक्त में कमी वाले क्लॉटिंग फैक्टर VIII की नकल करके ब्लीडिंग को रोकती या कम करती है।
आधिकारिक सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 27,000 हीमोफीलिया के मरीज रजिस्टर्ड हैं और अनुमान है कि 1,40,000 लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं।
आईसीएमआर के अध्ययन में खुलासा हुआ कि कम खुराक की एमिसिज़ुमैब विकासशील देशों में हीमोफीलिया ए के मरीजों के लिए किफायती इलाज का विकल्प हो सकती है। मानक खुराक की कीमत करीब 15,000 डॉलर (लगभग 12.5 लाख रुपये) है, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए महंगी है।
आईसीएमआर-नागपुर के सेंटर फॉर रिसर्च मैनेजमेंट एंड कंट्रोल ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथीज की निदेशक डॉ मनीषा मडकाइकर ने बताया, “हमने इस अध्ययन में कम खुराक की प्रभावशीलता को समझने की कोशिश की, क्योंकि मानक खुराक की ज्यादा कीमत इसे कई लोगों की पहुंच से बाहर कर देती है।”
उन्होंने कहा कि कम खुराक से इलाज की लागत 50 प्रतिशत से भी कम हो जाएगी, जिससे 50 साल की औसत उम्र और 50 किलो वजन के मरीज के लिए जीवनभर के इलाज में 7 करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत हो सकती है।
अध्ययन में कम खुराक की एमिसिज़ुमैब की तुलना कम खुराक वाले फैक्टर VIII प्रोफाइलेक्सिस से की गई।
जर्नल ऑफ थ्रोम्बोसिस एंड हीमोस्टेसिस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कम खुराक की एमिसिज़ुमैब की लागत लगभग 6,000 डॉलर (लगभग 5 लाख रुपये) थी, जबकि कम खुराक वाली रीकॉम्बिनेंट FVIII प्रोफिलैक्सिस की लागत 6,282 डॉलर थी (जिसकी टाइप ऑफ फैक्टर के आधार पर लागत 3,432 डॉलर से 7,920 डॉलर तक हो सकती है)।
डॉ मनीषा मडकाइकर ने कहा, “हमने साबित किया कि कम खुराक की एमिसिज़ुमैब हीमोफीलिया के इलाज में उतनी ही प्रभावी है।”
हीमोफीलिया से जोड़ों को नुकसान हो सकता है और 80 प्रतिशत मामलों में रक्तस्राव होता है, खासकर घुटनों, टखनों, कोहनी और कूल्हों में। कम खुराक की एमिसिज़ुमैब रक्तस्राव को रोकने, जोड़ों की सेहत सुधारने और मरीजों की जीवन गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करती है। यह दवा बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है।
–आईएएनएस
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