पश्चिम बंगाल में चरमराई कानून व्यवस्था, ममता बनर्जी असफल मुख्यमंत्री: सुवेंदु अधिकारी

कोलकाता, 8 नवंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने राज्य में बढ़ती आपराधिक घटनाओं के लिए मुख्यमंत्री और टीएमएस चीफ ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी एक असफल मुख्यमंत्री हैं।
सुवेंदु अधिकारी ने तारकेश्वर में चार वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था चरमरा गई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि तारकेश्वर में चार साल की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ है। परिवार पुलिस स्टेशन भागा, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई। अस्पताल ले जाया गया, चंदननगर रेफर कर दिया गया। तारकेश्वर पुलिस अपराध को दबाने में लगी है।
उन्होंने कहा कि यह ममता बनर्जी के बेलगाम शासन का असली चेहरा है। एक बच्ची की जिंदगी बर्बाद हो गई, फिर भी पुलिस सच्चाई को दबाकर राज्य की नकली कानून व्यवस्था की छवि को बचा रही है। क्या वे पुलिस अधिकारी हैं या ममता बनर्जी के चाटुकार? ऐसा लगता है कि तारकेश्वर पुलिस कानून की रक्षा करने की अपनी शपथ भूल गई है।
भाजपा नेता ने कहा कि ममता बनर्जी, आप एक असफल मुख्यमंत्री हैं। आपके शासन में, पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था चरमरा गई है। हर बार एक ही कहानी। बलात्कार, एफआईआर न होना, देरी से दर्ज होना, अस्पताल रेफर करना, मीडिया ब्लैकआउट, टीएमसी नेताओं का पर्दाफाश। ममता बनर्जी, आपके राजनीतिक अस्तित्व के लिए और कितनी मासूम बेटियों की जान कुर्बान एवं नष्ट करनी पड़ेगी?
इससे पहले भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता नगर निगम (केएमसी) पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि केएमसी अवैध तरीके से जन्म प्रमाणपत्र जारी कर रहा है। इन प्रमाणपत्रों का मकसद वास्तविक नागरिकों की मदद नहीं, बल्कि उन संदिग्ध व्यक्तियों को फायदा पहुंचाना है जिनके नाम विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के दौरान मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं।
सुवेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर चुनाव आयोग से तत्काल जांच की मांग की। उन्होंने पोस्ट में लिखा, “यह मतदाता सूची में हेरफेर करने और लोकतंत्र को कमजोर करने का घोर प्रयास है। जन्म प्रमाणपत्र देश के नागरिकों के लिए कानूनी दस्तावेज हैं, जो आमतौर पर नवजात शिशुओं या दुर्लभ मामलों में देरी से पंजीकरण के लिए जारी होते हैं। ये राजनीतिक हथियार नहीं हैं, जिनका उद्देश्य वोट बैंक के लिए जनसांख्यिकी बदलना हो।”
–आईएएनएस
एमएस/डीकेपी