सिंधु जल संधि निलंबन पर कुशविंदर वोहरा बोले 'पाकिस्तान को होगी दिक्कत'


नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकी घटना के बाद भारत सरकार ने कुछ कड़े फैसले लिए। इसमें सिंधु जल संधि भी है, जिसे सरकार ने फिलहाल निलंबित कर दिया है। इस संधि के निलंबित होने के बाद से देशवासियों के मन में एक सवाल चल रहा है कि इस संधि के निलंबित होने से पाकिस्तान को कितना नुकसान होगा। दोनों देशों के बीच सिंधु जल संधि के क्या मायने हैं और पाकिस्तान को कितना नुकसान उठाना होगा।

इस बारे में न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने शनिवार को केंद्रीय जल आयोग के पूर्व प्रमुख कुशविंदर वोहरा से बातचीत की। उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि निलंबन के बाद हम बाध्य नहीं हैं कि हम पड़ोसी देश पाकिस्तान को जानकारी साझा करें। उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि के तहत अब तक हम कुछ चीजों को लेकर बाध्य थे। लेकिन, हमें सबसे पहले यह जानना भी जरूरी है कि इस संधि के तहत कौन-कौन सी नदियां हैं। उन्होंने कहा कि इस संधि के अंदर छह नदियां हैं। रावी, ब्यास और सतलुज उसका पूरा पानी भारत के लिए है। इसके अलावा सिंधु, झेलम और चिनाब का ज्यादातर पानी पाकिस्तान के लिए है।

उन्होंने कहा कि 1960 में यह संधि हुई। जिसमें कुछ बाध्यता थी। लेकिन, संधि के निलंबन के बाद अब कोई बाध्यता नहीं है। अब निलंबन के बाद डाटा शेयर करने की जरूरत नहीं होगी। भारत-पाक के कमीशन के बीच मीटिंग नहीं होगी। इसके अलावा पाकिस्तान से भी लोग यहां पर देखने के लिए आते थे कि कौन-कौन से प्रोजेक्ट यहां चल रहे हैं अब उसकी भी कोई जरूरत नहीं होगी। हम जो प्रोजेक्ट बनाते थे उसे लेकर भी उन्हें जानकारी देनी होती थी। पाकिस्तान आम तौर पर हमेशा की तरह हमारे प्रोजेक्ट्स में खामियां निकालता था। लेकिन, अब वह जानकारी देने की जरूरत नहीं होगी। मानसून के दौरान, भारत सिंधु नदी प्रणाली के भीतर बाढ़ की स्थिति के बारे में पाकिस्तान को कोई अपडेट नहीं देगा।। मुझे लगता है कि जब तक यह सिंधु जल संधि निलंबित रहेगी, तब तक पाकिस्तान को परेशानी होगी।

–आईएएनएस

डीकेएम/सीबीटी


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