'ख्वाजा मेरे ख्वाजा' गाने ने हॉलीवुड का रास्ता दिखाया : ए.आर. रहमान


मुंबई, 12 अक्टूबर (आईएएनएस)। ए.आर. रहमान का गाना ‘ख्वाजा मेरे ख्वाजा’ भारतीय दर्शकों के दिलों में एक खास जगह रखता है। इस गाने में जैसी आध्यात्मिक गूंज सुनाई देती है, वह बहुत कम ही देखने को मिलती है।

संगीतकार ए.आर. रहमान के लिए यह सिर्फ एक गाना नहीं था, बल्कि ईश्वर की कृपा थी। उनका मानना है कि इसकी वजह से ही उन्हें अगले साल ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के लिए दो अकादमी पुरस्कार जीतने का मौका मिला।

यह गाना आशुतोष गोवारिकर की 2008 में आई फिल्म ‘जोधा अकबर’ का है। ए. आर. रहमान ने एक इंटरव्यू में बताया कि यह गाना इस फिल्म के लिए नहीं था। जब वह अजमेर शरीफ की यात्रा पर थे, तब यह गाना उन्होंने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पवित्र सूफी दरगाह पर लिखा था।

रहमान ने बताया कि वहां के एक खादिम ने मुझसे कहा, ”तुम ख्वाजा पर एक गाना क्यों नहीं लिखते? तुमने पिया हाजी अली तो गाया, पर ख्वाजा के लिए कुछ नहीं।”

रहमान ने कहा, ”पता नहीं… मुझे अभी ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ। दुआ करो कि मुझे ऐसा कुछ मिल जाए।”

रहमान ने कहा, “मुझे ऑस्ट्रेलिया जाते समय एक धुन नहीं मिल रही थी। इसलिए मैंने इसे ख्वाजा को समर्पित एक गाने के रूप में प्रयोग करने की कोशिश की। मैंने पूरा गाना रिकॉर्ड किया और गीतकार काशिफ से इसे पूरा करने को कहा। एक साल बाद आशुतोष गोवारिकर मेरे पास ‘जोधा अकबर’ लेकर आए।”

आशुतोष गोवारिकर ने बताया कि फिल्म में एक सीन में बादशाह अकबर अजमेर दरगाह जाते हैं। रहमान ने हंसते हुए कहा, “मैंने कहा, ‘रुको, मेरे पास एक गाना है।’ लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें पूरा गाना नहीं चाहिए, सिर्फ दो पंक्तियां चाहिए। मैंने उनसे कहा कि यह एक पूरा गीत है।”

जब आशुतोष ने यह गाना सुना तो वह भावुक हो गए और कहा कि यह गाना उनको दे दें। आशुतोष ने इसे ईश्वर का आशीर्वाद कहा। रहमान ने उनसे कहा कि ठीक है, लेकिन आप कुछ नहीं बदल सकते। फिर दो साल बाद मुझे ऑस्कर मिला।

ऑस्कर विजेता संगीतकार रहमान ने यह भी बताया कि मणिरत्नम की फिल्म ‘गुरु’ का उनका हिट गाना ‘मय्या मय्या’ उनकी हज यात्रा से प्रेरित था।

–आईएएनएस

जेपी/एबीएम


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