गर्मी से शनिवार को प्रदेश में सबसे अधिक कानपुर तपा। राजस्थान के थार मरुस्थल से होकर आईं पश्चिमी हवाओं ने तपिश बढ़ा दी। एयरफोर्स सबस्टेशन क्षेत्र में पारा उछलकर 46.9 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। 29 साल बाद 18 मई को इतनी गर्मी रही। इसके पहले वर्ष 1995 में पारा 45.4 डिग्री सेल्सियस पहुंचा था।
वहीं सीएसए की मौसम वैधशाला में अधिकतम तापमान 44.8 डिग्री रिकार्ड किया गया। भीषण गर्मी में दोपहर को स्कूलों से घरों के लिए निकले नौनिहाल झुलस गए। कई स्कूलों में तो 20 मई से गर्मी की छुट्टी हो गई है, लेकिन कई अभी भी खुले हैं।
सीएसए के मौसम विभाग प्रभारी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि दिन और रात दोनों के तापमान में सामान्य औसत से 4.4 डिग्री बढ़ोतरी हुई है। गर्मी अभी इसी तरह बनी रहेगी। तापमान एक से दो डिग्री सेल्सियस अभी और बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि सीएसए में ग्रीन बेल्ट होने की वजह से यहां के और एयरफोर्स के तापमान में दो से तीन डिग्री का फर्क रहता है।
राजस्थान की रेत की तपिश से गर्म हो जाती हैं हवाएं
डॉ. पांडेय का कहना है कि उत्तर-पश्चिमी हवाओं से तपिश बढ़ी है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से हवाएं नमी लेकर चलती हैं। जब ये राजस्थान के थार मरुस्थल पहुंचती हैं, तो रेत की तपिश से गर्म हो जाती हैं। जब ये हवाएं इधर आती हैं, तो अपने साथ गर्मी लेकर आती हैं और तापमान बढ़ जाता है। डॉ. पांडेय का कहना है कि अगर हवाओं का रुख बदला और बादल आए तो माहौल में बदलाव आ सकता है।
मम्मी अब स्कूल नहीं जाएंगे, बहुत गमी है
मम्मी, अब स्कूल नहीं जाएंगे। प्लीज, आप पापा से बोल देना। मेरे कई दोस्त भी नहीं आ रहे हैं। उनकी तबीयत धूप लगने से खराब हो गई है। मेरे भी सिर में तेज दर्द हो रहा है। आज स्कूल से आते समय चौराहे के पास जाम लग गया था। एक तो गर्मी ऊपर से वैन में जी मिचलाने लगा था। ये कष्ट शनिवार को केशवपुरम निवासी शुभम ने अपनी मां के सामने बयां किए। शुभम ही नहीं उसके जैसे हजारों बच्चे हैं जो शनिवार को भीषण गर्मी के बीच स्कूल से आए। मई के तीसरे सप्ताह में ही मौसम के ऐसे तेवर देखकर माता-पिता भी छुट्टी कराने के पक्ष में हैं।
गर्मी से बढ़ गए बेहोशी और डायरिया के मरीज
वेट बल्ब में माहौल में नमी की वजह से उमस बढ़ जाती है। यह गर्मी अधिक तकलीफ देती है और सेहत के लिए नुकसानदेह भी होती है। तपिश ने लोगों का बुरा हाल कर दिया। गर्मी ने हीट एग्जाशन (बेहोशी), डायरिया, गैस्ट्रोइंटाइटिस, इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस, वायरल संक्रमण के रोगी बढ़ा दिए हैं।