मानवीय मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता कभी खत्म नहीं होने वाली : द्रौपदी मुर्मू

नई दिल्ली, 19 मार्च (आईएएनएस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि एआई, जो दुनिया में अवसरों के साथ-साथ चुनौतियां भी ला रहा है, मीडिया के क्षेत्र में भी प्रवेश कर चुका है, लेकिन यह कभी भी “मानवीय मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता” की जगह नहीं ले सकता।
राष्ट्रपति ने 19वें रामनाथ गोयनका पत्रकारिता में उत्कृष्टता पुरस्कार वितरण समारोह में कहा, “मशीनों ने रिपोर्ट संकलित करना और संपादित करना शुरू कर दिया है। वह दिन दूर नहीं, जब वे पत्रकारों का अधिकांश काम करने में सक्षम होंगी। हालांकि, उनमें सहानुभूति की कमी है, जो पत्रकारों को एआई से आगे निकलने में मदद करने वाला एक तत्व है। मानवीय मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता कभी खत्म नहीं होने वाली है।”
लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि यदि नागरिकों को पूरी जानकारी नहीं होगी तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं अपना अर्थ खो देंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि समाचार के कारोबार के लिए विचारों से भरा एक संपन्न न्यूजरूम आवश्यक है, साथ ही उन्होंने गुणवत्ता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए एक शोध विंग के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने स्वर्गीय रामनाथ गोयनका के मीडिया समूह के प्रमुख अखबार इंडियन एक्सप्रेस का उल्लेख कर इस संबंध में इसे अनुकरणीय बताया।
उन्होंने कहा कि समाचार एकत्र करने में पत्रकारिता की आत्मा को मजबूत किया जाना चाहिए, उन्होंने मीडिया संगठनों से जमीनी स्तर पर रिपोर्टिंग की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक संसाधन लगाने का आग्रह किया।
मीडिया के व्यवसाय मॉडल पर चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पहले समाचार-पत्र और पत्रिकाएं गुणवत्तापूर्ण रिपोर्टिंग और विश्लेषण की पेशकश करते थे, जिससे अधिक बिक्री होती थी, जिससे विज्ञापनदाताओं को एक अच्छा मंच मिलता था, जो लागत में छूट देते थे, लेकिन हाल के समय में इसका स्थान कई हाइब्रिड मॉडलों ने ले लिया है।
उन्होंने डीप फेक और एआई के अन्य दुरुपयोग के खतरे की ओर भी ध्यान दिलाया, जिसके प्रति सभी नागरिकों, विशेषकर युवा पीढ़ी को जागरूक किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि ये पुरस्कार, जो “हमारी पत्रकारिता के सर्वश्रेष्ठ को पहचानते हैं और उसका जश्न मनाते हैं”, इंडियन एक्सप्रेस समूह के संस्थापक और भारतीय मीडिया के महान प्रतीक रामनाथ गोयनका की विरासत का भी सम्मान करते हैं।
उन्होंने कहा, “उन्होंने स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता के बाद भी प्रेस की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाई। उनके अखबार ने आपातकाल के दौरान झुकने से इनकार कर दिया। अखबार द्वारा प्रकाशित खाली संपादकीय स्वतंत्र प्रेस का प्रतीक बन गया और साथ ही लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली की उम्मीद का संकेत भी। गोयनका जी की निर्भीकता उन मूल्यों से प्रेरित थी, जो उन्होंने हमारे स्वतंत्रता आंदोलन से सीखे होंगे।”
राष्ट्रपति ने कहा, “गोयनका जी के लिए सेवा का विचार केवल पत्रकारिता तक ही सीमित नहीं था। राष्ट्रपिता के साथ उनका जुड़ाव अन्य गतिविधियों तक भी फैला हुआ था।”
रामनाथ गोयनका फाउंडेशन द्वारा स्थापित, 2006 से प्रदान किए जा रहे ये पुरस्कार, खोजी पत्रकारिता, खेल, राजनीति और सरकार, पुस्तकें, फीचर और क्षेत्रीय भाषाओं सहित 13 श्रेणियों में प्रिंट, डिजिटल और प्रसारण पत्रकारों के 20 उत्कृष्ट योगदानों को प्रदर्शित करते हुए सर्वश्रेष्ठ पत्रकारिता को सम्मानित करते हैं।
–आईएएनएस
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