झारखंड: गिरिडीह में नक्सलियों का आत्मसमर्पण, शिवलाल और सरिता ने छोड़ा माओवादी संगठन


गिरिडीह, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति ‘नई दिशा, नई पहल’ से प्रभावित होकर भाकपा (माओवादी) संगठन के एरिया कमेटी सदस्य शिवलाल हेम्ब्रम उर्फ शिवा (25 वर्ष) और उनकी पत्नी दस्ता सदस्य सरिता हांसदा उर्फ उर्मिला (19 वर्ष) ने बुधवार को गिरिडीह पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। यह घटना नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

आत्मसमर्पण समारोह में पुलिस अधीक्षक डॉ. बिमल कुमार, उपायुक्त-सह-जिला दंडाधिकारी रामनिवास यादव, अपर पुलिस अधीक्षक (अभियान) सुरजीत सिंह, सीआरपीएफ 154 बटालियन के कमांडेंट अमित सिंह, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी डूमरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

शिवलाल टेसाफुली, मधुबन थाना क्षेत्र के निवासी हैं, जबकि सरिता चतरो, खुखरा थाना क्षेत्र की रहने वाली हैं।

पुलिस के अनुसार, शिवलाल वर्ष 2017 में नक्सली संगठन से जुड़े थे। शुरू में उन्होंने संतरी और रसोइए की भूमिका निभाई, फिर माओवादी कमांडर करम दा उर्फ विवेक के अंगरक्षक बने। 2022 में उन्हें एरिया कमेटी सदस्य बनाया गया। इस दौरान उन्होंने विस्फोटक और हथियार छिपाने, ग्रामीणों से लेवी वसूली और पुलिस पर हमले जैसी गतिविधियों में हिस्सा लिया। दूसरी ओर सरिता को 2020 में जया दी द्वारा संगठन में भर्ती किया गया था। दोनों ने 2024 में विवाह किया।

पुलिस अधीक्षक डॉ. बिमल कुमार ने बताया कि संगठन के शीर्ष कमांडरों द्वारा शोषण, ग्रामीणों पर अत्याचार और पुलिस की सख्त कार्रवाई से दोनों भयभीत थे। गिरिडीह पुलिस ने उनके परिजनों के माध्यम से लगातार संपर्क बनाए रखा और आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया। आत्मसमर्पण के बाद दोनों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत लाभ मिलेगा, जिसमें आर्थिक सहायता, रोजगार और सामाजिक पुनर्जनन के अवसर शामिल हैं। शिवलाल के खिलाफ गिरिडीह, डुमरी, खुखरा, मधुबन, चतरोचट्टी और जगेश्वर विहार थानों में हत्या, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, यूएपीए और आर्म्स एक्ट के तहत 11 मामले दर्ज हैं। सरिता के खिलाफ भी कई नक्सली गतिविधियों से संबंधित प्राथमिकी दर्ज हैं।

डॉ. बिमल कुमार ने कहा, “यह आत्मसमर्पण नक्सली संगठन के लिए बड़ा झटका है। यह अन्य उग्रवादियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करेगा। मेरा मानना है कि यह नक्सल उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह कदम न केवल क्षेत्र में शांति स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण होगा, बल्कि सरकार की पुनर्वास नीति उग्रवादियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में प्रभावी साबित होगी।”

–आईएएनएस

एकेएस/डीकेपी


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