जेजीयू ने भारत-जापान शैक्षणिक संबंधों का किया विस्तार, पांच नए अध्ययन कार्यक्रम लॉन्च

सोनीपत, 17 नवंबर (आईएएनएस)। भारत और जापान के बीच शैक्षणिक सहयोग तथा छात्र गतिशीलता को नई दिशा देते हुए ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने सोमवार को ग्रीष्म 2026 के लिए जापान के प्रमुख विश्वविद्यालयों में पांच नए शॉर्ट-टर्म स्टडी अब्रॉड प्रोग्राम्स (एसटी-एसएपीएस) शुरू करने की घोषणा की। यह किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा जापान-केंद्रित अंतरराष्ट्रीयकरण की सबसे बड़ी पहलों में से एक है।
यह घोषणा जेजीयू की अंतरराष्ट्रीयकरण यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ये पांचों कार्यक्रम 15 जून से 3/4 जुलाई 2026 के बीच आयोजित होंगे, जिनमें कठोर शैक्षणिक प्रशिक्षण, सांस्कृतिक अनुभव और वैश्विक अधिगम का अवसर मिलेगा।
नए एसटी-एसएपीएस कार्यक्रमों की सूची (ग्रीष्म 2026)
द यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो, टोक्यो
थीम: ग्लोबलाइज्ड वर्ल्ड में जापान
तारीख: 15 जून – 3 जुलाई 2026
चुओ यूनिवर्सिटी, टोक्यो
थीम: ग्लोबल जापान: कानून, अर्थशास्त्र और समाज को समझना
तारीख: 15 जून – 3 जुलाई 2026
यूनिवर्सिटी ऑफ यामानाशी, यामानाशी
थीम: एआई और मानविकी: एसडीजीएस में अनुप्रयोग
तारीख: 15 जून – 4 जुलाई 2026
क्योरिन यूनिवर्सिटी, टोक्यो
थीम: परंपरा और भविष्य: जापान की विरासत, अर्थव्यवस्था और समाज की खोज
तारीख: 15 जून – 3 जुलाई 2026
मुसाशी यूनिवर्सिटी, टोक्यो
थीम: जल्द घोषित किया जाएगा
तारीख: 15 जून – 3 जुलाई 2026
ये कार्यक्रम जापान के बहुआयामी शैक्षणिक इकोसिस्टम, शासन, तकनीक, समाज, विरासत और सतत विकास के अध्ययन तथा परंपरा और नवाचार के अनूठे मिश्रण को समझने का अवसर प्रदान करते हैं। इसके साथ ही यह छात्र गतिशीलता, फैकल्टी सहयोग और सीमा-पार शोध को भी मजबूत करेंगे।
जेजीयू के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने कहा, “जापान में हमारे अध्ययन कार्यक्रमों का यह विस्तार भारतीय उच्च शिक्षा के वैश्वीकरण के प्रति जेजीयू की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। जापान नवाचार, शासन, संस्कृति और सतत विकास में अग्रणी है और ये कार्यक्रम विद्यार्थियों को अभूतपूर्व अनुभव प्रदान करेंगे। भारत-जापान शैक्षणिक नेटवर्क को सुदृढ़ करके जेजीयू वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए काम कर रहा है।”
पिछले दशक में भारत-जापान संबंधों ने शिक्षा, संस्कृति, तकनीक और वैश्विक मामलों में तेज गति से सहयोग का विस्तार किया है। 2014 से 2025 तक कई बैठकें हुईं, जिनसे लगातार कूटनीतिक गति बनी रही।
2019 में ओसाका जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय संवाद और मजबूत हुए। 2020 में विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी को और सुदृढ़ किया गया। 2023 में जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की दिल्ली यात्रा ने डिजिटल साझेदारी, कनेक्टिविटी और युवा गतिशीलता को प्रोत्साहित किया।
अगस्त 2025 में नई दिल्ली में 15वें वार्षिक भारत–जापान शिखर सम्मेलन के दौरान ‘जापान–भारत संयुक्त दृष्टि (नेक्स्ट डिकेड)’ पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें शैक्षणिक सहयोग और छात्र विनिमय पर विशेष जोर था।
इस मजबूत कूटनीतिक आधार ने भारतीय विश्वविद्यालयों विशेषकर जेजीयू को जापान के साथ शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंध गहरे करने में सक्षम बनाया है। विश्वविद्यालय ने जापानी उच्च शिक्षा क्षेत्र के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक सहभागिता अपनाई है, जिसमें नियमित प्रतिनिधिमंडल यात्राएं, संस्थागत साझेदारियां और 2024 व 2025 में टोक्यो में दो बार आयोजित ‘इंडिया–जापान हायर एजुकेशन फोरम’ शामिल हैं।
आज जेजीयू के जापान में 25 से अधिक संस्थागत साझेदार हैं, जो भारत में सबसे बड़े जापान-केंद्रित विश्वविद्यालय नेटवर्क में से एक है। इनमें यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो, यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी, चुओ यूनिवर्सिटी, दोशिशा यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ यामानाशी, रित्सुमेइकान यूनिवर्सिटी, ओसाका गाकुइन यूनिवर्सिटी, हिरोशिमा यूनिवर्सिटी समेत कई राष्ट्रीय, सार्वजनिक और निजी संस्थान शामिल हैं।
इस मजबूत नींव का निर्माण पहली एसटी-एसएपीएस (2025) से हुआ, जब जेजीयू ने टेंपल यूनिवर्सिटी जापान में 40 छात्रों का सबसे बड़ा शैक्षणिक समूह भेजा। यह कार्यक्रम सांस्कृतिक समझ, शैक्षणिक सहभागिता और छात्र गतिशीलता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था।
जेजीयू के डीन ऑफ एकेडमिक गवर्नेंस, प्रोफेसर पद्मनाभ रामानुजम ने कहा, “जापान में पांच नए एसटी-एसएपी का परिचय जेजीयू की शैक्षणिक परिपक्वता और वैश्विक महत्वाकांक्षा का द्योतक है। ये कार्यक्रम उच्च शैक्षणिक मानकों के साथ तकनीक, समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर अंतर्विषयक सीख प्रदान करेंगे। यह पहल हमारे अंतरराष्ट्रीयकरण को संरचित और समृद्ध बनाती है।”
जेजीयू के वाइस डीन और इंटरनेशनल रिलेशंस एवं ग्लोबल इनिशिएटिव्स के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अखिल भारद्वाज ने कहा, “ये कार्यक्रम वैश्विक गतिशीलता और सार्थक सांस्कृतिक अधिगम के हमारे दीर्घकालिक लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। जापान अद्वितीय बौद्धिक वातावरण प्रदान करता है, जिससे हमारे छात्र अत्यधिक लाभान्वित होंगे। आईएजीआई में हमारा लक्ष्य ऐसे अनुभव तैयार करना है जो विद्यार्थियों के दृष्टिकोण को व्यापक करें, शैक्षणिक समझ को गहरा करें और वैश्विक समझ को प्रोत्साहित करें। पांच नए एसटी-एसएपीएस की शुरुआत जेजीयू की वैश्विक पहचान को और मजबूत बनाती है।”
–आईएएनएस
डीएससी