नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। प्रेम अदीब दर था उनका नाम। कश्मीरी पंडित जिन्हें उस दौर में लोग पूजते थे। प्रभु का किरदार निभाने वाले इस कलाकार ने पर्दे पर ही नहीं अपने जीवन में भी श्री राम को जीया। हिंदी सिनेमा के इतिहास में उन्होंने अपना नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित करा लिया। जानते हैं क्यों?
प्रेम अदीब डर ने एक बार नहीं बल्कि आठ बार श्री राम को सिल्वर स्क्रीन पर जीवंत किया। इतना प्रभावित किया कि पूजे जाने लगे। यहां तक कि खुद महात्मा गांधी इनकी एक फिल्म राम राज्य देखने पहुंचे। भगवान की कथा भक्तों तक पहुंचाने का जरिया बने प्रेम अदीब का जन्म 10 अगस्त 1916 को कश्मीरी पंडित परिवार के घर में हुआ। उनका परिवार यूपी के सुल्तानपुर में रहता था।
पिता पंडित राम प्रसाद अदीब पेशे से वकील थे। इनके पूर्वज अवध के नवाब वाजिद अली शाह के जमाने में कश्मीर छोड़कर उत्तर प्रदेश में आकर बस गए। परिवार को अदीब नाम 19वीं शताब्दी में अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने सम्मान के रूप में दिया था। पढ़े लिखे परिवार में प्रेम का फिल्मों के प्रति रुझान बर्दाश्त नहीं था, लेकिन फिर प्रेम अदीब ने जो ठानी उसे अंततः कर ही दिखाया। किरदार भी ऐसा चुना जिसने झोली में भर भर कर सफलता डाल दी।
पहली बार भगवान राम का किरदार 1942 में आई ‘भरत मिलाप’ में निभाया। इसके बाद वह राम राज्य (1943) में भगवान राम बनकर नजर आए। उनके निभाए इन किरदारों से उन्हें देशभर में लोकप्रियता मिली। इन फिल्मों में उनकी जोड़ी शोभना समर्थ के साथ बनी थी, जिन्होंने मां सीता का किरदार निभाया था।
बाद में उन्होंने बाण (1948), राम विवाह (1949), राम नवमी (1956), राम-हनुमान युद्ध (1957), राम लक्ष्मण (1957), राम भक्त विभीषण (1958) फिल्मों में राम बनकर खूब वाहवाही बटोरी। 1943 से 1950 तक प्रेम अदीब और शोभना समर्थ जोड़ी इतनी लोकप्रिय हो गई कि उन्हें घरों में पूजा जाने लगा। राम राज्य फिल्म तो महात्मा गांधी ने भी देखी।
इस कलाकार ने भगवान राम का किरदार निभाने के लिए जीवन शैली में भारी बदलाव किया। विसंगतियों से दूरी बनाई। उन्होंने सिगरेट पीना और मांस का सेवन करना छोड़ दिया। प्रेम अदीब की गिनती उस समय के सुपरस्टार्स में होती थी। इनमें अशोक कुमार, पीसी बरुआ और मास्टर विनायक जैसे नाम शुमार थे।
प्रेम अदीब की शादी कृष्णा कुमारी कौल से शादी हुई थी।1960 में आई ‘अंगुलीमाल’ उनकी आखिरी फिल्म थी। जो उनके निधन के एक साल बाद आई थी। साल 1959 में हिंदी सिनेमा के ‘राम’ प्रेम अदीब ने 42 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।
–आईएएनएस
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