पति की जिम्मेदारी है कि ईद्दत के दौरान महिला का खर्च उठाए : मुस्लिम स्कॉलर सूफियान निजामी

पति की जिम्मेदारी है कि ईद्दत के दौरान महिला का खर्च उठाए : मुस्लिम स्कॉलर सूफियान निजामी

लखनऊ, 10 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 जुलाई को ऐतिहासिक फैसला दिया गया कि अब तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं भी पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती हैं।

सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद से लगातार बयानबाजी जारी है। इस फैसले को लेकर मुस्लिम स्कॉलर सूफियान निजामी ने भी अपनी बात रखी।

मुस्लिम स्कॉलर सूफियान निजामी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि, “पति की जिम्मेदारी है कि वो ईद्दत के दौरान महिला का खर्च उठाए। अगर इस्लामी मजहब के जरिए रिश्ता कायम किया गया है और फिर किसी कारणवश वो रिश्ता नहीं रहा, तो फिर तलाक के जरिए रिश्ते से बाहर निकलकर आजाद हो जाएं।”

निजामी ने कहा कि, “तलाक के बाद पति की जिम्मेदारी है कि ईद्दत के दौरान पत्नी का खर्च उठाए और उसे जीनव निर्वहन के लिए खर्चा दे और फिर ईद्दत के खर्च के बाद दोनों आजाद हैं। शरीयत में ईद्दत के बाद खर्चे के लिए मना किया गया है। शरीयत की यही तालीम है। वहीं कानून की क्या राय है, इस पर कानून के जानकार ही अपनी राय दे सकते हैं।”

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के हित में बुधवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अब तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर कर अपने पति से भरण पोषण के लिए भत्ता मांग सकती हैं।

हालांकि, कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कह दिया है कि यह फैसला हर धर्म की महिलाओं पर लागू होगा और मुस्लिम महिलाएं भी इसका सहारा ले सकती हैं। इसके लिए उन्हें सीआरपीसी की धारा 125 के तहत कोर्ट में याचिका दाखिल करने का अधिकार है। इस संबंध में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि, “भारत में कुछ लोग टुकड़े-टुकड़े गैंग से हैं। वो वोट की राजनीति करते हैं, वैसे लोगों के लिए यह खबर ठीक नहीं है। लेकिन भारत के संविधान अंतर्गत सभी को समान अधिकार है। तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भत्ता पाने का पूरा अधिकार है।”

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

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