इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने पाकिस्तान में पत्रकारों की टारगेट किलिंग पर चिंता जताई


इस्लामाबाद, 2 नवंबर (आईएएनएस)। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) ने पाकिस्तान में पत्रकारों की टारगेट किलिंग, मीडिया कर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक क्राइम्स एक्ट (पीईसीए) के गलत इस्तेमाल, बिना बताए सेंसरशिप, सरकारी और गैर-सरकारी लोगों द्वारा उत्पीड़न, जबरन नौकरी से निकालना और सैलरी न देने पर चिंता जताई है।

स्थानीय मीडिया ने एक बयान के हवाले से कहा कि इस मुद्दे को लेकर फिक्रमंद पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (पीएफयूजे) के एक प्रतिनिधिमंडल ने पेरिस में सिंडिकैट नेशनल डेस जर्नलिस्ट्स (एसएनजे) के हेडक्वार्टर में आईएफजे के अध्यक्ष डोमिनिक प्राडाली और महासचिव एंथनी बेलेंजर से बात की। यह बैठक पाकिस्तान में पत्रकारों की बढ़ती मुश्किलों पर बात करने के लिए हुई थी।

डेली डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, आईएफजे नेताओं ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शीर्ष न्यायाधीशों से पत्रकारों को हो रही दिक्कतों पर तुरंत ध्यान देने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि अधिकारियों की लापरवाही ऐसे ही रही तो संयुक्त राष्ट्र से दखल देने का आग्रह किया जा सकता है।

बैठक के दौरान, पीएफयूजे के प्रतिनिधिमंडल (जिसमें सेक्रेटरी जनरल शकील अहमद, रावलपिंडी-इस्लामाबाद यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष तारिक उस्मानी, और फॉरेन कमेटी के प्रमुख वसीम शहजाद कादरी शामिल थे) ने आईएफजे नेताओं को पाकिस्तान में पत्रकारों की स्थिति के बारे में बताया।

एक संयुक्त बयान में, प्रडाली और बेलेंजर ने पत्रकारों के खिलाफ हो रही “गैर-कानूनी” कार्रवाइयों की निंदा की और पेका-आधारित मामलों को तुरंत वापस लेने, पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत कानून बनाने और टारगेटे किलिंग के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने सरकारी संस्थानों द्वारा लगाए गए “अघोषित सेंसरशिप” की भी निंदा की, इसे “असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक” बताया।

मीडिया प्रोफेशनल्स की जबरन छंटनी पर चिंता जताते हुए, आईएफजे नेताओं ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से पाकिस्तान में पत्रकारों के “आर्थिक नरसंहार” को रोकने के लिए तुरंत और मजबूत कानून लाने का अनुरोध किया। आईएफजे ने पीएफयूजे को पूरा समर्थन दिया और कहा कि इस मुद्दे को आने वाली आईएफजे कांग्रेस के एजेंडे में शामिल किया जाएगा।

इस बीच पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और पंजाब स्थित एक शहर को पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक माना जाने लगा है। इसी साल पत्रकारों के खिलाफ कानून उल्लंघन के मामलों में पिछले साल के मुकाबले 60 फीसदी की तेजी आई है।

फ्रीडम नेटवर्क की सालाना इंप्युनिटी रिपोर्ट 2025 में इन दोनों जगहों को “सबसे खतरनाक स्थल” बताया गया है। यह रिपोर्ट इंटरनेशनल मीडिया सपोर्ट (आईएमएस) की मदद से तैयार की गई। रिपोर्ट पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की आजादी और पत्रकारों की सुरक्षा की बिगड़ती हालत को दिखाती है। रिपोर्ट में पाकिस्तान में पत्रकारों और दूसरे मीडिया प्रोफेशनल्स पर हमलों और उल्लंघनों में तेजी से बढ़ोतरी का खुलासा किया गया है।

डॉन ने रिपोर्ट किया, “पत्रकारों पर करीब 142 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 60% ज्यादा हैं। मीडिया के लिए माहौल फरवरी 2024 के आम चुनावों के बाद और खराब हो गया है। पाकिस्तान के लगभग हर इलाके को पत्रकारिता के लिए असुरक्षित बना दिया है, सभी प्रांतों और इलाकों से घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं।”

रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा केंद्र सरकार के पहले साल में विवादित प्रिवेंशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक क्राइम्स एक्ट (पीईसीए) के तहत 30 पत्रकारों और मीडिया प्रोफेशनल्स के खिलाफ करीब 36 औपचारिक कानूनी मामले दर्ज किए गए। अधिकारियों ने इस साल की शुरुआत में इस एक्ट में बदलाव किया, जिससे इसके प्रावधान पत्रकारों के लिए और सख्त हो गए, जिसकी वजह से मीडिया कर्मियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसकी आलोचना की है।

–आईएएनएस

केआर/


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