वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के रेडीमेड गारमेंट निर्यात में वृद्ध‍ि : एईपीसी


नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। मुद्रास्फीति दबाव के बावजूद भारत के रेडीमेड गारमेंट निर्यात में उछाल आया है। परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक चुनौतियों और निरंतर मुद्रास्फीति दबाव के बावजूद भारत के रेडीमेड परिधान (आरएमजी) निर्यात में 17.3 प्रतिशत का उछाल आया है।

भारत में आरएमजी निर्यात में वृद्धि ऐसे समय में हुई है, जब प्रमुख परिधान निर्यातक देशों में भी हाल के महीनों में आरएमजी निर्यात वृद्धि में मंदी देखी गई है।

एईपीसी के अध्यक्ष सुधीर सेखरी ने कहा, “भारत की कम आयात निर्भरता, फाइबर से लेकर फैशन तक इकोसिस्टम की मौजूदगी, प्रचुर मात्रा में युवा लेबर फोर्स के साथ देश एक अच्छी स्थिति में है और इसलिए विकास की संभावनाएं नजर आती हैं।”

इस साल सितंबर में आरएमजी निर्यात में सितंबर 2023 की तुलना में 17.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर अवधि के लिए संचयी आरएमजी निर्यात 7505.1 मिलियन डॉलर था, जो अप्रैल-सितंबर 2023-24 की तुलना में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान, आरएमजी निर्यात में अमेरिका ने 9.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की थी। इसके विपरीत, नीदरलैंड ने आरएमजी निर्यात में 27.8 प्रतिशत और स्पेन ने 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।

वहीं, आरएमजी निर्यात को लेकर जर्मनी ने 7.2 प्रतिशत और ब्रिटेन ने 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी।

मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) साझेदार देशों में भी वृद्धि देखी गई है। दक्षिण कोरिया के निर्यात में 17.3 प्रतिशत, जापान 8.5 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया 9.3 प्रतिशत, मॉरीशस के न‍िर्यात में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

एईपीसी के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा, “एफटीए साझेदार देश अब आरएमजी बाजार के विस्तार और विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।”

एईपीसी इस महीने स्पेन और न्यूयॉर्क में अंतरराष्ट्रीय रोड शो आयोजित करेगा। इसमें व्यापार, प्रौद्योगिकी और परंपरा का सर्वोत्तम प्रदर्शन किया जाएगा। भारतीय परिधान निर्यात तेज वृद्धि पथ पर अग्रसर है।

ठाकुर ने जोर देकर कहा, “हमने अपनी क्षमता का दोहन करना शुरू कर दिया है और भू-राजनीतिक चुनौतियों और सप्लाई चेन बाधाओं के बावजूद पिछले कुछ महीनों में आरएमजी निर्यात में प्रभावशाली दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की है। यह कहना गलत नहीं होगा कि पूरी दुनिया ने भारत को एक पसंदीदा सोर्सिंग डेस्टिनेशन के रूप में देखना शुरू कर दिया है।”

–आईएएनएस

एसकेटी/सीबीटी


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