नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत का ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर का वर्तमान मूल्य 3.1 बिलियन डॉलर है। रेगुलेशन और टैक्सेशन से जुड़ी चुनौतियों के बीच 2034 तक ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर 60 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की क्षमता रखता है। सोमवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
भारत के गेमिंग सेक्टर में अमेरिका का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, कुल 2.5 बिलियन डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में से 1.7 बिलियन डॉलर अकेले अमेरिका से आया है।
यूनाइटेड स्टेट्स इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष और सीईओ डॉ. मुकेश अघी के अनुसार, “यह भारत के तेजी से बढ़ते गेमिंग बाजार में वैश्विक निवेशकों के विश्वास को दिखाता है, जिसके 2034 तक 60 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।”
इस एफडीआई का 90 प्रतिशत हिस्सा पे-टू-प्ले सेगमेंट में है, जो कि इस सेक्टर के समग्र मूल्यांकन का 85 प्रतिशत है। हालांकि, रेगुलेशन और टैक्सेशन से जुड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं।
यूएसआईएसपीएफ और टीएमटी लॉ प्रैक्टिस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने हाई टैक्स रेट के लिए जाना जाता है। ऑनलाइन गेमिंग के लिए प्लेयर्स को अपनी कुल जमा पर सभी फॉर्मेट के लिए 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी चुकाना होता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र केंद्रीय उत्पाद वर्गीकरण (यूएन सीपीसी) गेमिंग को ऑनलाइन जुए से अलग परिभाषित करता है।
अघी ने कहा, “600 मिलियन से ज्यादा गेमर्स के साथ इस सेक्टर का तेजी से मुद्रीकरण किया जा रहा है। यह निर्यात के लिए अवसर पेश करता है। हालांकि, भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए, हमें प्रगतिशील टैक्स और रेगुलेटरी नीतियों के साथ समान अवसर की आवश्यकता है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो।”
रिपोर्ट में 12 प्रमुख गेमिंग बाजारों में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और टैक्सेशन पॉलिसी पर नजर डाली गई। इसमें पता चला कि सभी 12 देशों में गेम्स ऑफ चांस को लेकर अलग कानूनी परिभाषा है। इस परिभाषा के साथ स्किल गेमिंग फॉर्मेट को लेकर अंतर स्पष्ट होता है।
टीएमटी लॉ प्रैक्टिस के पार्टनर अभिषेक मल्होत्रा ने कहा, “वैश्विक बाजारों में अपनाई गई व्यवस्थाओं के समान अधिक सूक्ष्म रेगुलेशन और टैक्सेशन व्यवस्था न केवल स्पष्टता प्रदान करेगी, बल्कि ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर में विकास को भी बढ़ावा देगी।”
–आईएएनएस
एसकेटी/एबीएम