भारत के समुद्री उत्पादों का निर्यात अप्रैल से अक्टूबर में 14 प्रतिशत बढ़ा, अमेरिका में झींगे के निर्यात को मिली मजबूती

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत का समुद्री उत्पादों का निर्यात अप्रैल से अक्टूबर 2025 तक 13.93 प्रतिशत बढ़कर 4,793.08 मिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले साल इसी समय 4,207.08 मिलियन डॉलर था। सरकार ने शुक्रवार को बताया कि पिछले 5 वर्षों में अमेरिका को झींगे का निर्यात भी काफी मजबूत हुआ है। हालांकि, इसी अवधि में अमेरिका को भेजे गए जमे हुए झींगे के निर्यात में कमी आई है।
वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने राज्यसभा में बताया कि इसके लिए सरकार ने बाजार में विविधता लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं और व्यापारियों से मिलने के लिए बैठकें आयोजित की हैं।
अगस्त से अक्टूबर 2025 (अस्थायी आंकड़े) के दौरान अमेरिका को जमे हुए झींगे का निर्यात घटकर 55,282 टन हो गया, जिनकी कीमत 512.81 मिलियन डॉलर रही, जबकि 2024 में इसी अवधि में यह 83,375 टन था, जिसकी कीमत 673.98 मिलियन डॉलर थी।
मंत्री ने आगे बताया कि मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमपीईडीए) ने एशिया और यूरोप में कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री उत्पाद मेलों में भाग लिया। चेन्नई और नई दिल्ली में 2025 में आयोजित रिवर्स बायर-सेलर मीट्स में 100 से अधिक खरीदारों और निर्यातकों के बीच बातचीत हुई।
एमपीईडीए नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए निर्यातकों को मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के बारे में जानकारी देने वाले कार्यक्रम भी चला रहा है। वाणिज्य विभाग यूरोपीय संघ से एफटीए को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। वहीं, मत्स्य पालन विभाग ने एशिया-प्रशांत (एपेक) देशों के साथ मिलकर गुणवत्ता आश्वासन, जैव सुरक्षा, कोल्ड-चेन में सुधार और अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) के लिए सहयोग किया है।
एमपीईडीए ने विशाखापत्तनम में भारतीय झींगे की नस्ल से स्पेशल्टी फ्री पीट (एसपीएफ) टाइगर झींगा का उत्पादन करने के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू किया है। साथ ही, ‘शफारी सर्टिफिकेशन’ को लागू किया है, ताकि झींगे और अन्य उत्पाद एंटीबायोटिक-मुक्त और बीमारी-मुक्त हों, और इन्हें बेहतर तरीकों से तैयार किया जा सके।
इसके अलावा, एडवांस्ड टेक्नोलॉजिकल ट्रांसफॉर्मेशन इन एक्वाकल्चर योजना लागू की गई है, जिससे झींगा उत्पादन में सुधार किया जा रहा है और किसानों को पूंजी के लिए 50-75 प्रतिशत तक आर्थिक मदद दी जा रही है।
हाल ही में मछली पालन और एक्वाकल्चर से जुड़े 20 से अधिक उत्पादों पर जीएसटी दरों में कटौती की गई है, ताकि लागत कम हो और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिले।
— आईएएनएस
दुर्गेश बहादुर/एबीएस