भारत की मैन्युफैक्चरिंग स्पेस डिमांड 2027 तक बढ़कर 34 मिलियन स्कायर फुट होने का अनुमान

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत की मैन्युफैक्चरिंग लीजिंग एक्टिविटी शीर्ष आठ शहरों में 2027 तक बढ़कर 33.7 मिलियन स्कायर फुट तक पहुंचने का अनुमान है, जो कि भारत के कुल इंडस्ट्रियल और वेयरहाउसिंग अब्सॉर्प्शन का लगभग आधा हिस्सा है। यह जानकारी गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर महत्वपूर्ण लीजिंग एक्टिविटी और स्पेस की बढ़ती जरूरत के जरिए इंडस्ट्रियल रियल एस्टेट को एक नया आकार दे रहा है।
जेएलएल की एक रिपोर्ट बताती है कि मैन्युफैक्चरिंग लीजिंग एक्टिविटी ने 2024 में 22.1 मिलियन स्कायर फुट तक पहुंच कर शानदार वृद्धि का प्रदर्शन किया है।
मैन्युफैक्चरिंग स्पेस डिमांड 2027 तक बढ़कर 34 मिलियन स्कायर फुट होने का अनुमान है, जो कि भारत के कुल इंडस्ट्रियल और वेयरहाउसिंग अब्सॉर्प्शन का 46 प्रतिशत हिस्सा है। यह इस सेक्टर की बाजार में प्रमुख स्थिति की ओर संकेत है।
ग्रेड ए प्रॉपर्टी डिमांड 2019 में 70 प्रतिशत से 2024 में बढ़कर 82 प्रतिशत हो गई है। साथ ही, 2025 की तीसरी तिमाही तक शीर्ष 8 शहरों में 87 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वृद्धि खासकर ऑटो और सहायक उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड व्हाइट गुड्स और इंजीनियरिंग सेक्टर की ओर से कस्टमाइज्ड हाई-एंड स्पेसिफिकेशन की बढ़ती जरूरत को दर्शाती है।
जेएलएल इंडिया के इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स हेड योगेश शेवड़े ने कहा, “2020 से 2024 के बीच मैन्युफैक्चरिंग लीजिंग एक्टिविटी में 7 गुना उछाल, लीज लैंड और बिल्डिंग को चुनने की मैन्युफैक्चर्रस की रियल एस्टेट स्ट्रेटेजी और लीज लैंड और डिसिजन मेकिंग में बढ़ते बदलाव की ओर इशारा करता है।”
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की तीसरी तिमाही तक मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत के 8 टियर 1 शहरों में पुणे और चेन्नई डोमिनेंट मार्केट के रूप में उभरे हैं, जो कि मैन्युफैक्चरिंग लीजिंग स्पेस की कुल मांग में 75 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, दूसरे शहर जैसे बेंगलुरू, मुंबई, दिल्ली-एनसीआर भी तेज गति का अनुभव कर रहे हैं और ओवरऑल लीजिंग गति को बढ़ा रहे हैं।
–आईएएनएस
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