भारत का लॉन्ग-टर्म आउटलुक मजबूत, अप्रैल में आरबीआई रेट कट कर सकता है : एचएसबीसी रिपोर्ट


नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। भारत का लॉन्ग-टर्म आउटलुक मजबूत बना हुआ है और इंवेस्टमेंट साइकल मध्यम अवधि में तेजी की ओर बढ़ने का अनुमान है, जिसे इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग में सरकारी निवेश, निजी निवेश में तेजी और रियल एस्टेट साइकल रिकवरी से समर्थन मिलेगा। शुक्रवार को जारी एचएसबीसी की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई ।

एचएसबीसी म्यूचुअल फंड की ‘मार्केट आउटलुक रिपोर्ट 2025’ में रिन्यूएबल एनर्जी और इससे जुड़ी सप्लाई चेन में अधिक निजी निवेश, हाई-एंड टेक्नोलॉजी कंपोनेंट्स के स्थानीयकरण और भारत के तेजी से विकास को सपोर्ट करने के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन का अधिक सार्थक हिस्सा बनने की उम्मीद है।

रिपोर्ट में बताया गया है, “हालिया सुधार के बाद, निफ्टी की वैल्यूएशन अब इसके 5/10-वर्ष के औसत के अनुरूप है। हम अधिक मजबूत मीडियम टर्म ग्रोथ आउटलुक द्वारा समर्थित भारतीय इक्विटी पर रचनात्मक बने हुए हैं।”

निफ्टी अब 18.1 गुना, वन-ईयर फॉरवर्ड प्राइस टू अर्निंग रेश्यो पर कारोबार कर रहा है। यह अब अपने 5-वर्षीय औसत से 7 प्रतिशत कम है और अपने 10-वर्षीय औसत के अनुरूप है।

जनवरी और फरवरी में तेज सुधार के बाद मिडकैप और स्मॉलकैप स्पेस में वैल्यूएशन में भी कमी आई है।

रिपोर्ट के अनुसार, भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण ग्लोबल मैक्रो एनवायरमेंट चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।

भारत के लिए, वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सुधरकर सालाना आधार पर 6.2 प्रतिशत हो गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा मानना ​​है कि सरकार ने केंद्रीय बजट में आयकर दरों में कटौती के जरिए निजी खपत में मंदी को आंशिक रूप से संबोधित करने का प्रयास किया है। हालांकि, निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि महत्वपूर्ण होगी क्योंकि सरकारी पूंजीगत व्यय में कमी आ रही है।”

केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में अब वित्त वर्ष 2025 में केवल सालाना आधार पर 7 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2026 में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।

आरबीआई भी अब नीतिगत दरों को कम करने का प्रयास कर रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा मानना ​​है कि लंबी अवधि का आउटलुक मजबूत बना हुआ है।”

डेट आउटलुक के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी में देखी गई तीव्र गिरावट के बाद, फरवरी में मुद्रा स्तर में आरबीआई के नीतिगत कदमों – एफएक्स खरीद/बिक्री यूएसडी स्वैप विंडो के कारण सुधार हुआ।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है, “वास्तविक अर्थव्यवस्था ने, अब तक, वैश्विक विकास के प्रति लचीलापन दिखाया है। विकास-मुद्रास्फीति के आंकड़ों, एमपीसी की पिछली नीति कार्रवाई और एमपीसी के मिनटों के आधार पर, हमारा मानना ​​है कि आरबीआई-एमपीसी अपनी अप्रैल नीति में एक और 25 बीपीएस कटौती करेगा, जबकि अपनी लिक्विडिटी रणनीति पर चुस्त और लचीला बने रहना जारी रखेगा।”

तीसरी दर कटौती के लिए, मुद्रास्फीति, मानसून आउटलुक और वैश्विक विकास जून नीति बैठक में जाने वाले प्रमुख इनपुट होंगे।

–आईएएनएस

एसकेटी/एबीएम


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