भारत की विदेश नीति विफल साबित हुई है : पृथ्वीराज चव्हाण


मुंबई, 6 जून (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद विदेशों में गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल की सफलता पर सवाल उठाए हैं और भारत की विदेश नीति को असफल बताया है।

पृथ्वीराज चव्हाण ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “पहले भी प्रधानमंत्री अपनी नीतियों को दुनिया के सामने रखने के लिए विपक्षी नेताओं को दुनिया के दूसरे देशों में भेजते रहे हैं। इस पर विवाद नहीं होना चाहिए था। कांग्रेस ने इसका समर्थन किया। लेकिन, आप सोचिए कि विदेश गया कोई भी प्रतिनिधिमंडल किसी भी बड़े नेता या किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री से नहीं मिला। यह हमारी विदेश नीति की विफलता है। इसमें प्रतिनिधिमंडल का दोष नहीं है। विदेश मंत्रालय, हमारे दूतावास इसके लिए दोषी हैं, जो प्रतिनिधिमंडल की बैठक उनसे नहीं करा सके, जो निर्णय लेते हैं।”

चव्हाण ने कहा, “हमारा प्रतिनिधिमंडल सांसदों के मैत्री समूहों से मिला, वहां रह रहे हमारे लोगों से मिला। वे हमारे ही लोग हैं। उन्हें मिलना ही था, यह कोई बड़ी बात नहीं है।”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर खुद विदेशों का दौरा करना चाहिए था, जैसे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जा रहे हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि हमने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की। पहले भी ऐसी स्थितियों में संसद सत्र बुलाया गया है, लेकिन यह परंपरा अब नरेंद्र मोदी ने बंद कर दी है।

आरबीआई के हाल में रेपो रेट कम करने पर कांग्रेस नेता ने कहा, “आरबीआई की मौद्रिक नीति पर बैठक थी। इस पर कुछ फैसले लिए जाने थे। फरवरी से अब तक आरबीआई ने रेपो रेट घटाए हैं। इस बार भी रेपो रेट 25 बेसिक प्वाइंट घटने की उम्मीद थी, लेकिन 50 प्वाइंट घटाया गया है। फरवरी से लेकर अब तक ब्याज दरों में एक प्रतिशत कटौती हुई है। देखना होगा कि आम उपभोक्ताओं की ईएमआई की किस्तों में एक प्रतिशत की कमी दिखती है या नहीं।”

उन्होंने कहा कि 500 रुपए के जाली नोट बड़ी मात्रा में पकड़े गए हैं। इसलिए 500 रुपए के नए नोट छापे जाने की बात चल रही है। संभव है जाली नोट छापने का सिलसिला पाकिस्तान में चल रहा हो।

अजीत पवार की लाडली बहन योजना पर दिए बयान पर कांग्रेस नेता ने कहा, “यह योजना सिर्फ चुनाव जीतने के लिए लाई गई थी। सरकारी अधिकारियों ने इस योजना का लाभ उठाया और पैसा बनाया। यह दलित विभाग, महिला विभाग, जनजाति विभाग का पैसा था। यह योजना एकनाथ शिंदे द्वारा जल्दबाजी में बिना किसी आंकलन के लाई गई थी।”

बता दें कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कुछ दिन पहले दिए अपने बयान में भी इसे जल्दबाजी में लाई गई योजना बताया था। फिलहाल यह योजना फंड की कमी से जूझ रही है।

महाराष्ट्र निकाय चुनाव में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, “हमारी बात उद्धव ठाकरे से होगी जो हमारे गठबंधन के नेता हैं। हमारी बात शरद पवार से होगी। कुछ ही दिन में कांग्रेस के नेता इन दोनों से मिलेंगे और स्थानीय निकाय की रणनीति पर चर्चा करेंगे। उद्धव ठाकरे जी के नेतृत्व में और कौन गठबंधन से जुड़ता है, यह उन पर निर्भर है। लेकिन, हम अपने बुनियादी सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेंगे।”

–आईएएनएस

पीएके/एकेजे


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