सिंगापुर: मारपीट के मामले में भारतीय मूल का व्यक्ति दोषी करार

सिंगापुर: मारपीट के मामले में भारतीय मूल का व्यक्ति दोषी करार

सिंगापुर, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। सिंगापुर की एक अदालत ने 33 वर्षीय भारतीय मूल के व्यक्ति को जुलाई, 2020 में एक टैक्सी में यात्रा करते समय हुए झगड़े के बाद एक अन्य व्यक्ति को पीट-पीट कर मार डालने के मामले में दोषी ठहराया है।

द स्ट्रेट्स टाइम्स अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी शक्तिवेल शिवसूरियन को शुक्रवार को पीड़ित मंजुनाथ लुईस रवि को जानबूझकर चोट पहुंचाने के मामले में दोषी ठहराया गया। मारपीट के अगले पांच दिन बाद गर्दन और सिर की चोटों के चलते पीड़ित मंजुनाथ की अस्पताल में मौत हो गई थी।

अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, मंजूनाथ, एक महिला, शक्तिवेल और उसकी पत्नी रात करीब 11 बजे गैंगसा रोड पर एक टैक्सी से कहीं जा रहे थे। इस दौरान शक्तिवेल और मंजूनाथ के बीच विवाद हो गया।

झगड़ा आगे बढ़ा और मारपीट शुरू हो गई। इस दौरान मंजूनाथ जमीन पर गिर गया। उसके सिर पर चोट आई। वह अपने आप उठने में असमर्थ था। उसे एक अस्पताल ले जाया गया जहां स्कैन से पता चला कि उसके मस्तिष्क की सतह पर रक्तस्राव हो रहा है, साथ ही मस्तिष्क में सूजन है।

द टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, शव परीक्षण से पता चला कि मंजूनाथ की बायीं आंख के ऊपर की हड्डी में एक छोटी सी दरार थी और उनकी रीढ़ की हड्डी में डिस्प्लेसमेंट था।

16 दिनों तक चली सुनवाई में बचाव पक्ष ने अदालत को बताया किमंजूनाथ को गिरने से लगी प्रारंभिक चोट घातक नहीं थी। लेकिन, जब शक्तिवेल ने उसे उठाया और फिर गिरा दिया, उसके चलते उसकी शुरुआती चोट गंभीर हो गई और उसकी मृत्यु हो गई।

जिला न्यायाधीश जेम्स एलिशा ली ने शक्तिवेल के वकील वासवानी संजीव के सबूतों को स्वीकार किया है कि जब मंजूनाथ जमीन पर गिरे तो शक्तिवेल और एक महिला ने उन्हें उठाने की कोशिश की, इस दौरान वह दो बार जमीन पर गिर पड़े।

लेकिन उन्होंने इस बात को लेकर संदेह जताया कि अगर मंजूनाथ को नीचे नहीं गिराया गया होता और उनके साथ मारपीट नहीं की गई होती तो क्या उनकी मौत गिरने से लगी शुरुआती चोट से हुई होती।

“वास्तव में, अगर पीड़ित को गिरने से (चोट) नहीं लगी, तो पीड़ित को गिराने और उसके साथ मारपीट करने के चलते उसकी मृत्यु नहीं होती।”

शक्तिवेल ने अपनी स्थिति का समर्थन करने के लिए अक्टूबर 2019 की एक गूगल स्ट्रीट व्यू इमेज भी प्रस्तुत की कि जहां घटना हुई वहां जमीन पर पहले से ही एक छेद था।

न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी प्रत्यक्षदर्शी ने पीड़ित को ऊबड़-खाबड़ जमीन पर पैर रखने के बाद अपना पैर फिसलते हुए नहीं देखा।

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि मंजूनाथ ने जिस तरह से अपने कदम उठाए, जैसा कि वीडियो फुटेज में देखा गया है और जब उन्हें चोट लगी और जब वह गिरे, के बीच बहुत कम समय था, तो यह स्पष्ट था कि वह चोट लगने के चलते जमीन पर गिर गए थे।

न्यायाधीश ने कहा, “भले ही पीड़ित गड्ढे में पैर रखने के बाद गिर गया हो, फिर भी यह आरोपी द्वारा किए गए हमले के कारण हुआ।”

शक्तिवेल को नवंबर में सजा सुना जाएगी।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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