अमेरिकी विश्वविद्यालय राजनीतिक एजेंडे को दे रहे हैं बढ़ावा : भारतीय मूल के पत्रकार

अमेरिकी विश्वविद्यालय राजनीतिक एजेंडे को दे रहे हैं बढ़ावा : भारतीय मूल के पत्रकार

न्यूयॉर्क, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय मूल के पत्रकार फरीद जकारिया ने कहा है कि अमेरिका के टॉप यूनिवर्सिटीज को पॉलिटकल एजेंडा चलाने का दुशाहस छोड़ देना चाहिए और अनुसंधान और शिक्षण पर फोकस कर अपनी प्रतिष्ठा का पुनर्निर्माण करना चाहिए।

एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो संदेश में, शीर्ष सीएनएन पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार फरीद जकारिया ने कहा कि “एलीट यूनिवर्सिटीज में व्यापक बदलाव आया है, जो एक्सलेंस की जगह पॉलिटिकल एजेंडा को आगे बढ़ाने वाले संस्थानों में बदल गए हैं।”

मुंबई में जन्मे ज़कारिया ने कहा, “अमेरिकी विश्वविद्यालय विभिन्न प्रकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक्सलेंस पर फोकस नहीं कर रहे हैं।”

उनकी यह टिप्पणी हार्वर्ड विश्वविद्यालय, पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय (यूपेन) और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के प्रेसिडेंट द्वारा अपने परिसरों में यहूदी विरोधी भावना की बढ़ती चिंताओं का सामना करने के बाद आई है।

ज़कारिया ने कहा, “इस सप्ताह सदन की सुनवाई में हमने जो देखा वह दशकों से विश्वविद्यालयों के राजनीतिकरण का अपरिहार्य परिणाम था।”

उन्होंने कहा, “ये विश्वविद्यालय और ये प्रेसिडेंट स्पष्ट रूप से यह नहीं बता सके कि विश्वविद्यालय में विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति है।”

इज़राइल-हमास युद्ध की पृष्ठभूमि में, परिसरों में हेट क्राइम की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। शिक्षा विभाग का नागरिक अधिकार कार्यालय यहूदी विरोधी भावना और इस्लामोफोबिया की कथित शिकायतें मिलने के बाद हार्वर्ड और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय की जांच कर रहा है।

शिक्षा और कार्यबल पर रिपब्लिकन के नेतृत्व वाली हाउस कमेटी द्वारा पूछताछ किए जाने पर यूनिवर्सिटीज के प्रेसिडेंट्स ने कहा कि उन्हें यहूदी-विरोधी भाषा से नफरत है, लेकिन वे स्वतंत्र भाषण को भी महत्व देते हैं।

सुनवाई के बाद, प्रेसिडेंट्स को सोशल मीडिया पर विरोध का सामना करना पड़ा और कानून बनाने वाले 72 लोगों ने इन तीन प्रेसिडेंट्स को बर्खास्त करने की मांग की।

ज़कारिया ने कहा कि अमेरिका के टॉप कॉलेजों को अब पक्षपातपूर्ण संगठनों के लिए उत्कृष्टता के गढ़ के रूप में नहीं देखा जाता है, “जिसका मतलब है कि वे इन राजनीतिक तूफानों से प्रभावित होते रहेंगे”।

–आईएएनएस

एसकेपी

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