नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। हैदराबाद स्थित इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स कंपनी सुई-मुक्त कोविड-19 वैक्सीन बनाने पर काम कर रही है। एक शोध में यह बात सामने आई है कि यह कोविड संक्रमण के खिलाफ बड़ा गेम चेंजर साबित होगी।
ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय की एक टीम के नेतृत्व में किए गए शोध में नाक के रास्ते से दी जाने वाली कोविड वैक्सीनेशन – सीडीओ-7एन-1 की प्रभावशीलता की जांच की गई।
ग्रिफिथ के बायोमेडिसिन और ग्लाइकोमिक्स संस्थान के प्रोफेसर सुरेश महालिंगम ने कहा, “यह एक लाइव अटैंयूएटेड इंट्रानेजल वैक्सीन है, जिसे सीडीओ-7एन-1 कहा जाता है, जिसे इंट्रानेजल रूप से देने के लिए तैयार किया गया है। इसकी एक खुराक ही म्यूकोसल इम्युनिटी के साथ-साथ इम्यूनिटी सिस्टम को भी मजबूत कर सकती है।
नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित शोध से पता चला है कि यह वैक्सीन एक वर्ष या उससे अधिक समय तक दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
महालिंगम ने कहा, ”इसे सिंगल डोज के रूप में डिजाइन किया गया है। यह बूस्टर वैक्सीन के तौर पर ज्यादा इस्तेमाल की जा सकती है और इसके कोई प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं हैं।”
इस वैक्सीन के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं। इम्यूनिटी पर इसके प्रभाव मजबूत और स्थायी हैं। इस वैक्सीन में पूरे वायरस से सुरक्षा प्रदान होती है। अन्य वैक्सीन में सिंगल एंटीजन का इस्तेमाल होता है। अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ जियांग लियू ने बताया है कि यह वायरस के सभी वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी है।
इतना ही नहीं, इसमें सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम को बेअसर करने की क्षमता भी है।
लियू ने कहा, “यह वैक्सीन संक्रमण के विरुद्ध शक्तिशाली सुरक्षा प्रदान करती है। संक्रमण और वायरस के प्रसार को रोकने के साथ ही नए प्रकार के वायरस का प्रभाव भी कम करती है।”
इस वैक्सीन का लाइसेंस प्रमुख वैक्सीन निर्माता कंपनी इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स को दिया गया है। यह कंपनी मानव और पशु दोनों के लिए वैक्सीन बनाती है।
इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स के प्रबंध निदेशक डॉ. के. आनंद कुमार ने कहा कि कंपनी ने वैक्सीन के सभी आवश्यक अध्ययन पूरे कर लिए हैं और अब क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
–आईएएनएस
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