भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू बाजार पर केंद्रित, ऐसे झटकों से उभरने में सक्षम : अर्थशास्त्री


नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। भारत पर 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ की घोषणा को लेकर गुरुवार को अर्थशास्त्रियों ने कहा कि देश काफी हद तक घरेलू स्तर पर संचालित अर्थव्यवस्था है। हमने अतीत में कई तूफानों का सामना किया है। इसलिए हमें विश्वास है कि इससे कुछ नुकसान होंगे, लेकिन हम इस झटके को आत्मविश्वास से झेलने में सक्षम होंगे।

इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत तक एडिशनल टैरिफ लगाए हैं, जिससे कुल टैरिफ स्तर 50 प्रतिशत हो गया है। इससे ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों पर गंभीर असर पड़ेगा। इसलिए, यह निश्चित रूप से भारत में हमारे लिए चिंतित होने का एक कारण है। हालांकि, यह याद रखना जरूरी है कि चीन के विपरीत, भारत काफी हद तक घरेलू स्तर पर संचालित अर्थव्यवस्था है।”

उन्होंने कहा कि हमने अतीत में कई तूफानों का सामना किया है, जैसे अक्टूबर 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट यहां तक कि कोरोना। इसलिए हमें विश्वास है कि इससे कुछ नुकसान होंगे, लेकिन हम इस झटके को आत्मविश्वास से झेलने में सक्षम होंगे।

प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा को लेकर उन्होंने कहा, “लंबे समय से भारत और चीन के बीच बनी दूरी अब ट्रंप के टैरिफ के बाद खत्म होती नजर आ रही है। भारत और चीन के हितों में काफी हद तक सामंजस्य बना हुआ है । अगर दोनों देश एक मंच पर अपनी बात को जोरदार तरीके से उठाएं तो इसमें चीन और भारत दोनों का फायदा होगा। इस दिशा में प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा एक अच्छे संकेत के रूप में देखी जा सकती है।”

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि दोनों देश मिल कर टैरिफ के बाद पैदा हुई वैश्विक चुनौतियों को लेकर एक सोचा-समझा और साझा रुख अपना सकते हैं।

अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ के आगे भारत ने झुकने से इंकार कर दिया है। भारत दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। भारत उभरता हुआ सूरज है। हमें अपने डेरी किसानों और उनका इंटरेस्ट प्रोटेक्ट करना है। अपने मछुआरों का इंटरेस्ट प्रोटेक्ट करना है। अमेरिका को आगे चलकर हिंदुस्तान की जरूरत पड़ेगी।”

उन्होंने आगे कहा कि भारत ने अमेरिका का नाम लेते हुए उसे जवाब दिया है और कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देगा। यह एक साहसिक कदम है। भारत का अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ उठाया गया कदम दुनिया में भारत के कद को बड़ा करता है।

उन्होंने आगे कहा कि हम डोमेस्टिक-ड्रिवन इकोनॉमी हैं। हमें निकट भविष्य में थोड़ा-बहुत नुकसान होगा, लेकिन भारत ने दूसरे ट्रेडिंग पार्टनर्स खोज लिए हैं। यूके के साथ हम साझेदारी कर चुके हैं। भारत के वैकल्पिक खरीदार हैं। हालांकि, अमेरिका और भारत दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को लेकर बातचीत चल रही है। ऐसे में 27 अगस्त से पहले अगर हमारे किसानों, डेयरी फार्मर और मछुआरों का हितों का संरक्षण होगा तो ही यह ट्रेड डील होगी। भारत किसी तरह के दबाव में नहीं आएगा।

सरला अनिल मोदी स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स अर्थशास्त्र की प्रोफेसर नाहिद फातिमा ने आईएएनएस से कहा, “क्योंकि अमेरिका भारत का एक बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है इसलिए 50 प्रतिशत टैरिफ का असर खासकर एक्सपोर्ट ऑरिएंटेड सेक्टर्स पर देखने को मिलेगा। इसका अल्पकालिक प्रभाव बड़ा हो सकता है। साथ ही जीडीपी पर इसका असर पड़ सकता है।”

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि अच्छी बात ये है कि भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, मजबूत उपभोग भारत के लिए दीर्घकाल में एक मजबूत आधार बन सकता है।

–आईएएनएस

एसकेटी/


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