वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय कंपनियों का वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में स्थिर रहा प्रदर्शन : रिपोर्ट


नई दिल्ली, 2 जून (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारत में कॉर्पोरेट जगत का प्रदर्शन कुल मिलाकर संतोषजनक रहा। वहीं, वित्त वर्ष 2026 में खपत बढ़ने के बाद इसमें और अधिक वृद्धि की गुंजाइश है। यह जानकारी सोमवार को जारी रिपोर्ट में दी गई।

बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की रिपोर्ट के अनुसार, 1,893 कंपनियों के सैंपल की कुल शुद्ध बिक्री चौथी तिमाही में 5.4 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि शुद्ध लाभ में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता ने कहा, “कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें सुधार की उम्मीद है। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े क्षेत्रों में नकारात्मक आधार प्रभाव के बावजूद स्थिर वृद्धि जारी है। एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल जैसे उपभोक्ता से जुड़े क्षेत्रों के लिए, मजबूत ग्रामीण और मौसमी मांग स्थिर सुधार में सहायता करती है।”

सेवा क्षेत्र के उद्योगों ने भी निरंतर मांग की गति के बीच स्थिर वृद्धि दर्ज करना जारी रखा।

महत्वपूर्ण बात यह है कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बावजूद, कंपनियां भविष्य की विकास संभावनाओं को लेकर सकारात्मक बनी हुई हैं।

उन्होंने कहा, “स्थिर कमोडिटी कीमतें, कम घरेलू महंगाई, अनुकूल मानसून, व्यापार सौदे, सरकारी पूंजीगत व्यय और कर प्रोत्साहन की वजह से वृद्धि और मांग को बढ़ावा मिल सकता है।”

चौथी तिमाही में, व्यय और ब्याज लागत कम रही, जिससे कंपनियों की ऋण चुकाने की क्षमता में सुधार हुआ।

ऑयल एंड गैस, टेक्सटाइल और आयरन एंड स्टील जैसे कुछ बड़े क्षेत्रों में बिक्री में कुछ नरमी देखी गई, जिसका ओवरऑल सैंपल पर असर पड़ा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एक बार की घटना प्रतीत होती है। इसी तरह, बीएफएसआई सेगमेंट में पिछले साल मजबूत प्रदर्शन के बाद कुछ धीमी गति देखी गई और इसे ऋण में वृद्धि में धीमी गति से जोड़ा जा सकता है।

अशांत वैश्विक व्यापार वातावरण के संदर्भ में और साथ ही पिछले वर्ष के उच्च आधार पर विचार करते हुए, प्रदर्शन काफी स्थिर लगता है।

पिछले वर्ष 20.7 प्रतिशत और 14.3 प्रतिशत के उच्च आधार पर, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में परिचालन और शुद्ध लाभ में क्रमशः 8.2 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

रिपोर्ट में कहा गया है, “कुल 24 सेक्टर ने कुल सैंपल (5.4 प्रतिशत) के लिए तुलनात्मक शुद्ध बिक्री की तुलना में शुद्ध बिक्री में उच्च वृद्धि दर दर्ज की है। पीएटी (प्रॉफिट आफ्टर टैक्स) के लिए, 16 सेक्टर ने सैंपल एवरेज (7.6 प्रतिशत) की तुलना में अधिक वृद्धि दर्ज की।”

–आईएएनएस

एसकेटी/एबीएम


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