भारत को विकसित करनी होंगी सॉवरेन एआई क्षमताएं, नहीं तो विदेशी कंपनियों पर निर्भर हो सकता है देश : अमिताभ कांत

मुंबई, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत को तत्काल अपनी सॉवरेन एआई क्षमताएं विकसित करनी होंगी, नहीं तो देश को विदेशी कंपनियों पर निर्भर होना पड़ेगा। यह बयान नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की ओर से दिया गया।
साथ ही, कांत ने कहा कि यह विदेशी कंपनियां अपने एआई मॉडल को मजबूत करने के लिए भारतीय डेटा का इस्तेमाल कर रही हैं।
मिंट ऑल अबाउट एआई टेक4गुड ऑवर्ड्स में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि देश की तकनीकी प्रगति इस बात से परिभाषित होगी कि वह कितनी तेजी से अपने घरेलू कंप्यूटर इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करता है, संवेदनशील डेटा को सुरक्षा करता है और स्वदेशी एआई सिस्टम बनाने वाले स्टार्टअप्स का समर्थन करता है।
कांत ने चेतावनी दी कि भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर ने बड़े पैमाने पर समावेशन को बढ़ावा दिया है, लेकिन देश की पिछड़ी कंप्यूटिंग क्षमता इसकी प्रगति को धीमा करने का खतरा पैदा कर रही है। उन्होंने ओपनएआई और एनवीडिया के बीच हाल ही में हुई साझेदारी का हवाला देते हुए कहा कि इससे 10 गीगावाट की जीपीयू क्षमता तैयार होगी, जो लगभग पांच मिलियन लेटेस्ट हाई-परफॉरमिंग प्रोसेसर के बराबर है। वहीं, भारत में लगभग 30,000 जीपीयू ही हैं।
उन्होंने कहा, “इस अंतर को पाटने के लिए निजी क्षेत्र के बड़े पैमाने पर निवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवश्यकता है। आज, भारत में ओपनएआई के चैटजीपीटी के मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक हैं। यह संख्या अमेरिका से भी लगभग 33 प्रतिशत अधिक है।”
उन्होंने कहा कि भारत के उभरते एआई स्टार्टअप, जिनमें सर्वम एआई, सोखत एआई, धनी एआई और गैंट एआई शामिल हैं, आधारभूत मॉडल बनाने की शुरुआत कर रहे हैं, लेकिन वैश्विक मानकों तक पहुंचने के लिए उन्हें उच्च-गुणवत्ता वाले डेटा और शक्तिशाली कंप्यूटिंग के विशाल भंडार तक पहुंच की आवश्यकता होगी।
शीर्ष एआई रिसर्चर्स को आकर्षित करने, डेटासेट तक पहुंच में सुधार लाने और सार्वजनिक कंप्यूटिंग बाजारों का विस्तार करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कार्यक्रम आवश्यक होंगे।
–आईएएनएस
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