भारत 6जी संचार की खोज में बढ़ रहा आगे


नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)। भारत ने हाल ही में दुनिया का सबसे तेज़ 5जी रोलआउट हासिल किया है। भारत संचार क्षितिज पर आगे 6जी या छठी जनरेशन की संचार तकनीक बनाने की दिशा में प्रगति शुरू करने में ग्लोबल टेलीकॉम सेक्टर में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

एक अवधारणा चरण (कॉन्सेप्ट स्टेज) में होने के बावजूद, 6जी संयुक्त मानव-मशीन और मशीन-मशीन कनेक्टिविटी के अपने वादे के साथ पहले से ही धूम मचा रहा है और भविष्य की झलक पेश करता है।

अगली जनरेशन 6जी, 5जी तकनीक पर आधारित होगी। नये संचार ऐप्लिकेशन को बढ़ाने और चलाने के लिए 5जी की तुलना में लगभग 100 गुना तेज गति के साथ अधिक विश्वसनीय, अल्ट्रा-लो विलंबता और किफायती समाधान प्रदान करेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2023 में दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में नए अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) क्षेत्र कार्यालय और इनोवेशन केंद्र का उद्घाटन किया था। पीएम ने यहां भारत 6जी विजन दस्तावेज़ का भी अनावरण किया और देश में 6जी आर एंड डी टेस्ट बेड लॉन्च किया।

भारत 6जी विज़न दस्तावेज़ में भारत को 2030 तक 6जी प्रौद्योगिकी के डिजाइन, विकास और तैनाती में अग्रणी योगदानकर्ता बनने की परिकल्पना की गई है। पीएम ने देश में प्रौद्योगिकी अपनाने की तेज गति पर जोर देते हुए कहा था कि भारत में दुनिया के सबसे तेज 5जी रोलआउट के ठीक छह महीने बाद भारत 6जी पर चर्चा कर रहा है।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के सहयोगात्मक प्रयासों के साथ-साथ आईटीयू के 6जी विजन फ्रेमवर्क को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 6जी मानकीकरण को प्राथमिकता देने में भारत के दूरसंचार विभाग के प्रयासों के परिणामस्वरूप 6जी प्रौद्योगिकी के प्रमुख तत्वों के रूप में सर्वव्यापी कनेक्टिविटी, सर्वव्यापी इंटेलिजेंस और स्थिरता को सफलतापूर्वक अपनाया गया है और अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार क्षेत्र में भारत की स्थिति भी बढ़ी है।

संयुक्त राष्ट्र की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के लिए विशेष एजेंसी आईटीयू द्वारा छठी जनरेशन या 6जी तकनीक को ‘आईएमटी 2030’ नाम दिया गया है।

22 जून 2023 को स्वीकृत 6जी फ्रेमवर्क के लिए आईटीयू की सिफारिश, 6जी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) में एक आधार दस्तावेज के रूप में काम करेगी और दुनिया भर में 6जी प्रौद्योगिकी के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी।

भारत 6जी विजन सामर्थ्य, स्थिरता और सर्वव्यापकता के सिद्धांतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य भारत को एडवांस दूरसंचार प्रौद्योगिकियों और समाधानों के अग्रणी आपूर्तिकर्ता के रूप में दुनिया में अपना स्थान लेने में सक्षम बनाना है, जो किफायती हैं और विश्व की भलाई में योगदान करते हैं।

भारत के दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (टीईसी) ने इस 6जी फ्रेमवर्क पर देश के मानकीकरण कार्य का नेतृत्व किया है। टीईसी द्वारा अपनाए गए समावेशी दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप प्रमुख उद्योगों, स्टार्टअप, शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास संगठनों की भागीदारी के साथ राष्ट्रीय अध्ययन समूह (एनएसजी) में व्यापक हितधारकों की भागीदारी हुई है।

टीईसी के नेतृत्व वाला एनएसजी पिछले कुछ वर्षों से इस ढांचे पर काम कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत-विशिष्ट जरूरतों की वकालत कर रहा है।

अतीत में, भारत ने एनएसजी के माध्यम से 5जी प्रौद्योगिकी के विकास में भी योगदान दिया था। जिसका एक प्रमुख परिणाम आईटीयू द्वारा 5जी उपयोग के मामले के रूप में लो मोबिलिटी लार्ज सेल (एलएमएलसी) को अपनाना था।

भारतीय दूरसंचार क्षेत्र की सफलता की कहानी इस तथ्य से झलकती है कि 2014 से पहले देश में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के 60 मिलियन यूजर्स थे, लेकिन आज यह संख्या 800 मिलियन से अधिक हो गई है। भारत में इंटरनेट कनेक्शनों की संख्या 85 करोड़ से अधिक है, जो 2014 से पहले 25 करोड़ थी।

भारत 6जी विजन के अनुसार, मिशन 6जी की उपलब्धि के लिए, भारत को आने वाले दशक में प्रौद्योगिकियों पर अपने शोध को संरेखित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो देश में 6जी के लागू करने के अत्यधिक अनुकूलित तरीके से बढ़ावा देगा।

भारत में 6जी के प्रभाव का और पता लगाने के लिए तथा यह जांचने के लिए कि देश इस क्षेत्र में ग्लेबल लीडर बनने के अपने मिशन को कैसे साकार कर सकता है। इसलिए टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप ने 6जी विजन टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रुप के प्रमुख स्तंभों का पता लगाने के लिए छह टास्क फोर्स का गठन किया।

6जी पारिस्थितिकी तंत्र पर अपने विचार-विमर्श के आधार पर, उन्होंने एमएमवेव और टेराहर्ट्ज़ संचार, फाइबर-ब्रॉडबैंड, टैक्टाइल इंटरनेट और रिमोट ऑपरेशंस, मल्टी-सेंसर मैन-मशीन इंटरफेस और एज क्लाउड कंप्यूटिंग संसाधनों का लाभ उठाने वाले उपकरणों में व्यापक शोध की सिफारिश की है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस-टेरेस्ट्रियल इंटीग्रेशन, संयुक्त संचार और सेंसिंग (सब) टेराहर्ट्ज बैंड, एसओसी और सीओई से निकलने वाले अभिनव समाधानों में अच्छी प्रगति को वैश्विक मानक मंचों में भागीदारी, योगदान और आज के स्टार्टअप का लाभ उठाकर आगे बढ़ाया जा सकता है।

विज़न दस्तावेज़ में कहा गया है कि यह सब एक मजबूत और बहुत जरूरी आर एंड डी फंडिंग तंत्र के साथ हासिल किया जा सकता है। भारत अग्रणी भूमिका निभाने के लिए उद्योग, शिक्षा जगत और सेवा प्रदाताओं सहित सभी हितधारकों को शामिल करके अनुसंधान के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करने की योजना बना रहा है।

भारत के पास विश्व स्तर पर 6जी लहर को चलाने और इस शक्तिशाली बल गुणक का लाभ उठाने के लिए खुद को एडवांस, प्रासंगिक और किफायती दूरसंचार प्रणालियों तथा समाधानों के अग्रणी वैश्विक आपूर्तिकर्ता में बदलने के लिए आवश्यक साधन हैं।

–आईएएनएस

एफजेड/सीबीटी


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