भारत अपने एआई मिशन को आगे बढ़ा रहा : नंदन नीलेकणि


नई दिल्ली, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। इंफोसिस के सह-संस्थापक और आधार आर्किटेक्ट नंदन नीलेकणि ने शुक्रवार को कहा कि भारत ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लीडरशिप’ की ग्लोबल रेस में पीछे नहीं है। देश अब अपने एआई मिशन को आगे बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है।

उन्होंने कहा कि ‘इंडिया एआई मिशन’ पहले से ही चल रहा है और छोटे मॉडलों के साथ आगे बढ़ रहा है, ऐसे मॉडल जिन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है।

‘ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट’ में नंदन नीलेकणि ने कहा, “भारतीयों को यह चिंता नहीं करनी चाहिए कि उन्होंने दूसरे देशों की तरह बड़े एआई मॉडल नहीं डेवलप किए हैं। भारत पहले से प्रगति की राह पर है। अब इसे आगे बढ़ाने के बारे में बातचीत होनी चाहिए।”

उन्होंने जोर दिया कि पहले के तकनीकी बदलावों की तुलना में एआई क्रांति बेहद अलग है।

उन्होंने कहा, “पिछली तकनीकी क्रांतियों और वर्तमान क्रांतियों के बीच एक मुख्य अंतर यह है कि पहली बार हम गैर-मानवीय बुद्धिमत्ता (नॉन-ह्यूमन इंटेलिजेंस) पर भरोसा करने का इरादा रखते हैं।”

उन्होंने कहा कि पहले तकनीक को लेकर पूर्वानुमान लगाया जा सकता था और तकनीक स्पष्ट निर्देशों का पालन करती थी। लेकिन, अब एआई के साथ हम मशीनों से निर्णय लेने की उम्मीद कर रहे हैं, यह ‘विश्वास’ को लेकर एक बड़ा बदलाव है।

नीलेकणि ने चेतावनी देते हुए कहा कि एआई उत्साह पैदा कर रहा है। लेकिन, इसका कार्यान्वयन आसान नहीं होगा।

उन्होंने ‘ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट’ में कहा कि असली चुनौती एआई को रोजाना के सिस्टम में इंटीग्रेट करने में है। एआई का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि यह आसान होने जा रहा है, बल्कि अगर ज्यादा न सही, लेकिन इसमें कुछ प्रयासों की जरूरत होगी।

नीलेकणि के अनुसार, एआई को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए उद्यमों और सरकार के कामों के तरीके में बड़े बदलाव की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि उद्यमों और सरकार के कामों में वर्कफ्लो को बदलने की जरूरत होगी, ताकि एआई इसका हिस्सा बन सके। हमें अपग्रेड को लेकर बहुत अधिक काम करने की जरूरत है, लेकिन बुनियादी बातें अभी भी मायने रखती हैं। इन चुनौतियों के बावजूद पिछले 15 वर्षों में भारत की डिजिटल परिवर्तन को लेकर प्रगति देश को आगे बढ़ाती है।

नीलेकणि ने कहा, “एंटरप्राइज एआई बहुत कठिन है और इसमें बहुत अधिक समय लगेगा। लेकिन सबसे मुश्किल संरचनात्मक बाधाओं के कारण एआई को पब्लिक सेक्टर में लागू करना है।”

–आईएएनएस

एसकेटी/एबीएम


Show More
Back to top button