जर्मनी को पछाड़कर भारत पवन और सौर ऊर्जा में बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक

नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी ने शुक्रवार को कहा कि भारत अब जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए पवन और सौर ऊर्जा का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है।
उन्होंने कहा कि देश की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता इस वर्ष अप्रैल में सालाना आधार पर 30.7 प्रतिशत बढ़कर 107.95 गीगावाट तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष अप्रैल में 82.64 गीगावाट थी।
केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वैश्विक स्तर पर 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत स्वच्छ ऊर्जा क्षमता में लगातार वृद्धि कर रहा है।”
अप्रैल 2025 में भारत की पवन ऊर्जा क्षमता सालाना आधार पर 10.6 प्रतिशत बढ़कर 51.06 गीगावाट हो गई है, जो कि अप्रैल 2024 में 46.16 गीगावाट थी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अप्रैल 2025 में देश की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता वार्षिक आधार पर 16 प्रतिशत बढ़कर 231.81 गीगावाट हो गई है, जो कि 199.86 गीगावाट थी।
भारत ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन में अग्रणी है और पिछले दशक में अकेले सौर ऊर्जा में 30 गुना से अधिक वृद्धि हुई है। देश ने निर्धारित समय से आठ वर्ष पहले ही 2030 के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को हासिल कर लिया है।
देश ने 2030 के लिए निर्धारित 200 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य 2022 में ही हासिल कर लिया था, जो तय समय से आठ वर्ष पहले है।
पिछले महीने जोशी ने राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी इलाके में हरियाणा के ग्वाल पहाड़ी स्थित राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई) में पीवी मॉड्यूल टेस्टिंग और कैलिब्रेशन लैब का उद्घाटन किया था।
उन्होंने लैब को भारत के लिए एक एडवांस फैसिलिटी बताया और इस बात पर प्रकाश डाला कि जैसे-जैसे भारतीय कंपनियां बड़े मॉड्यूलों का उत्पादन बढ़ा रही हैं, यह लैब यह सुनिश्चित करेगी कि उत्पाद उच्चतम गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरें।
देश में सौर मॉड्यूल उत्पादन 2014 में 2 गीगावाट से बढ़कर 80 गीगावाट हो गया है।
जोशी ने कहा कि भारत 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है, जिसमें 292 गीगावाट सौर ऊर्जा भी शामिल है।
–आईएएनएस
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