कॉर्पोरेट जगत को उम्मीद भारत और अमेरिका टैरिफ पर बातचीत के जरिए कर लेंगे समझौता : रिपोर्ट


नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। देश में कॉर्पोरेट जगत को उम्मीद है कि भारत और अमेरिका टैरिफ पर बातचीत के जरिए समझौता कर लेंगे।

फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर एमके द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में प्रमुख उद्योग जगत के लीडर्स ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन के फैसले से प्रभावित प्रबंधन को उम्मीद है कि भारत से अमेरिकी आयात पर अंतिम टैरिफ कम दर पर तय होगा।

कॉर्पोरेट हितधारकों के अनुसार, 21 दिनों की ऑफ-रैंप अवधि से भारत और अमेरिका के बीच बातचीत के जरिए समझौता हो जाना चाहिए, क्योंकि अमेरिकी बाजार में सबसे ज्यादा निवेश करने वाली कंपनियों के लिए आकस्मिक योजनाएं हैं, जिनमें उत्पादन को दूसरे भौगोलिक क्षेत्रों में स्थानांतरित करना शामिल है, हालांकि ऐसे कदमों को लागू करने में समय लगेगा।

वक्ताओं ने भारत की दीर्घकालिक विकास कहानी पर जोर दिया।

डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने वैल्यू चेन में आगे बढ़ने और विकास की गति को बनाए रखने की महत्वाकांक्षाओं को रेखांकित किया।

कैपेसिटी बिल्डिंग कमीशन के अध्यक्ष आदिल जैनुलभाई ने इस बारे में जानकारी दी कि कैसे सीबीसी की पहल सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में दक्षता बढ़ा रही है।

हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि अगर टैरिफ 50 प्रतिशत पर बना रहता है, तो इससे परिसंपत्ति गुणवत्ता पर विशेष रूप से कपड़ा और एमएसएमई निर्यातकों पर संभावित दबाव पड़ेगा।

वक्ताओं के अनुसार, लीडर्स को उम्मीद है कि सरकार इस प्रभाव को कम करने के लिए संभावित ऋण गारंटी योजना सहित लक्षित उपाय करेगी।

उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यापार संबंधी मुद्दों के अलावा, भारत के घरेलू बाजार के लिए सेंटीमेंट सकारात्मक बना हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता वस्तुओं से लेकर विवेकाधीन श्रेणियों तक सभी क्षेत्रों की प्रबंधन टीमों ने मांग में सुधार के शुरुआती संकेत दिए हैं और एक मजबूत त्योहारी सीजन और वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही के लिए तैयारी कर रही हैं।

वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि ऋणदाताओं ने इस दृष्टिकोण का समर्थन किया है और वित्त वर्ष 26 के अंत में खुदरा क्षेत्रों में मजबूत ऋण वृद्धि का अनुमान लगाया है, जबकि कॉर्पोरेट ऋण को बॉन्ड बाजार से लगातार प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।

इस बीच, सरकार अभी भी वाशिंगटन के साथ भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर चर्चा में शामिल है, जिसका उद्देश्य टैरिफ स्थिरता और दीर्घकालिक व्यापार पूर्वानुमान के माध्यम से व्यापार और निवेश का विस्तार करना है।

–आईएएनएस

एसकेटी/


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