भारत, अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार हाई ग्रोथ सेक्टर पर केंद्रित: विशेषज्ञ


नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। टैरिफ और संरक्षणवादी नीतियों जैसी मौजूदा चुनौतियों के बावजूद, भारत और अमेरिका ने सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स और क्रिटिकल टेक्नोलॉजी जैसे उच्च-विकास वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए द्विपक्षीय व्यापार में 500 बिलियन डॉलर हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। उद्योग विशेषज्ञों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) के अध्यक्ष अशोक चांडक ने कहा कि यह साझेदारी 21वीं सदी में सबसे महत्वपूर्ण साझेदारियों में से एक बन गई है, जो रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी प्राथमिकताओं को उजागर करती है।

महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों पर पहल (आईसीईटी) फ्रेमवर्क पर आधारित यह साझेदारी रक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), सेमीकंडक्टर- क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेक्नोलॉजी, एनर्जी और स्पेस एक्सप्लोरेशन जैसे एरिया में कटिंग-एज टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन को प्रमोट करेगी।

सफल आईएनडीयूएस-एक्स प्लेटफॉर्म के बाद तैयार किए गए आईएनडीयूएस इनोवेशन ब्रिज के लॉन्च से शिक्षा और उद्योग में अमेरिका-भारत की साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा।

इस पहल का उद्देश्य अंतरिक्ष, ऊर्जा और उभरती हुई टेक्नोलॉजी में निवेश को बढ़ावा देना है, जिससे दोनों देशों को 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए इनोवेशन में लीडरशिप बनाए रखने में मदद मिलेगी।

यूएस-इंडिया ट्रस्ट (रणनीतिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर संबंधों को बदलना) पहल भारत में बड़े पैमाने पर अमेरिकी मूल के एआई इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने की क्षमता पर प्रकाश डालती है, निर्यात नियंत्रण संबंधी चिंताओं को दूर करती है और कटिंग-एज टेक्नोलॉजी तक पहुंच को सक्षम बनाती है।

चांडक ने कहा कि इससे भारतीय कंपनियों के लिए वैश्विक एआई इंफ्रास्ट्रक्चर में योगदान करने के द्वार भी खुलेंगे।

बैठक में सेमीकंडक्टर जैसे उभरते उद्योगों की मांगों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज वैल्यू चेन में रिसर्च, विकास और निवेश के महत्व को रेखांकित किया गया।

इसके अलावा, एनर्जी अफोर्डिबिलिटी, विश्वसनीयता और सस्टेनेबिलिटी पर अमेरिका-भारत सहयोग भारत को अपने सौर ऊर्जा बाजारों का विस्तार करने में मदद करेगा, हालांकि टैरिफ से संबंधित चिंताएं अभी भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई हैं।

भारत के डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए भी बड़े फैसले लिए गए, जिसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और एडवांस वेपन सिस्टम में सहयोग शामिल है।

विशेषज्ञों ने कहा कि इनोवेशन, आर्थिक विकास और वैश्विक सुरक्षा के लिए साझा प्रतिबद्धता के साथ, भारत-अमेरिका साझेदारी सेमीकंडक्टर और टेक्नोलॉजी सेक्टर सहित उद्योगों में परिवर्तनकारी परिणाम देने के लिए तैयार है।

–आईएएनएस

एसकेटी/एबीएम


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