दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में कम लक्ष्य का पीछा करते हुए यशस्वी ने रोहित के साथ मिलकर टीम को तेज शुरुआत दिलाई। उन्होंने 23 गेंदों पर 28 रन की पारी खेली और इस दौरान छह चौके लगाए। मैच के बाद यशस्वी जायसवाल ने कहा कि वह अपना स्वाभाविक खेल नहीं खेलते हैं बल्कि जरूरत के हिसाब से खेलते हैं।
भारतीय युवा सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल का कहना है कि आक्रामक खेलना उनका स्वाभाविक खेल नहीं है और वह हमेशा टीम की जरूरत के अनुसार बल्लेबाजी करते हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में कम लक्ष्य का पीछा करते हुए यशस्वी ने रोहित के साथ मिलकर टीम को तेज शुरुआत दिलाई।
उन्होंने 23 गेंदों पर 28 रन की पारी खेली और इस दौरान छह चौके लगाए। अपने खेल को लेकर यशस्वी ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि मेरा नैसर्गिक खेल तेजी से खेलना है। मैं परिस्थिति के हिसाब से खेलता हूं। पिछली तीन पारियों में मैंने ऐसा ही किया है और लक्ष्य का पीछा करते हुए जिस तरह की जरूरत थी मैंने वो किया। मेरी कोशिश यही रहती है कि मेरी टीम को जिस तरह जरूरत है वैसा खेलूं और मेरे दिमाग में बस यही रहता है। अगर पांच दिन बचे रहते हैं तो मैं उस हिसाब से बल्लेबाजी करता हूं, लेकिन 70 रन चाहिए हों तो मेरा खेल अलग हो जाता है। मेरी कोशिश रहती है कि अपने खेल में बदलाव ला सकूं जो टीम के लिए सही रहे।’
रोहित से सकारात्मक माइंडसेट की मिलती है सीख
जासवाल ने आगे कहा, ‘रोहित भइया काफी सकारात्मक माइंडसेट में मुझे रखते हैं। दूसरी पारी में उतरने से पहले उसी तरीके से हमारे बात हुई। कोशिश यही थी कि हम जितनी जल्दी नई गेंद से रन बनाएं उतना बेहतर होगा। यहां पर मैच जीतना आसान नहीं है। मैच जीतकर बहुत ही मजा आया। बहुत ही अच्छा लग रहा है, टीम में काफी अच्छी-अच्छी बातें होती हैं जो हमको सीखने मिलती है। इन चीजों का आनंद लेते हैं और इसी तरह हम सीखते रहेंगे। अपने देश का प्रतिनिधत्व करना और विदेशी धरती पर मैच जीतना काफी गर्व करने वाली बात है। यह अद्भुत है।’
विकेट और परिस्थितियों से मिलती है सीख
यशस्वी दक्षिण अफ्रीका से पहले वेस्टइंडीज के विरुद्ध टेस्ट सीरीज में भी सलामी बल्लेबाज के तौर पर उतरे थे। इन दौरों से उन्हें क्या सीखने मिला, इस पर यशस्वी ने कहा, ‘मुझे काफी कुछ सीखने मिला। दोनों जगहों पर काफी अलग विकेट और परिस्थितियां थी। आप जहां खेल रहे होते हो वहां की परिस्थितियां मायने रखती है। हर तरीके से देखा जाए तो दोनों जगहों पर खेलने में काफी मजा आया। मुझे लगता है अपने खेल में सुधार करना है और मेहनत करनी है।’
‘अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता हूं’
विदेशी धरती पर खेलने की चुनौती के बारे में इस युवा बल्लेबाज ने कहा, ‘चुनौती तो होती ही है। जैसा कि दक्षिण अफ्रीका में देखने को मिला कि अलग तरह से गेंद आती है। मुझे लगता है कि मैं इन चीजों का आनंद लेता हूं और हर बार अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करता हूं। आगे भी जो सीरीज है उसमें मेरी कोशिश होगी कि मैं सीखता रहूं और रोहित, कोहली और राहुल भाई से अपनी बल्लेबाजी को लेकर चर्चा करूं कि अलग-अलग जगह पर गेंद आती है तो हम किस तरह तैयारी कर सकते है। मेरा काफी अच्छा अनुभव रहा।’
राहुल द्रविड़ से हुई लंबी चर्चा
सेंचुरियन में पहले टेस्ट के बाद कोच राहुल द्रविड़ ने यशस्वी से लंबी चर्चा की थी। इसे लेकर उन्होंने कहा, ‘राहुल सर ने मुझसे कहा था कि अगर आप डाट गेंद खेल रहे हो, अच्छा बीट होते हो या आपको गेंद लगती है तो इसका मतलब है कि आप अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हो। आपकी कोशिश यही रहनी चाहिए कि आप किस तरह गेंद को समझकर शाट का चयन कर सकते हो। जब गेंद अच्छी लेंथ पर है और बाउंस हो रही तो उसे आप किस तरह खेलोगे। अगर छोड़ रहे हो तो कैसे छोड़ोगे। बल्लेबाजी का आनंद लेना है और हंस कर बल्लेबाजी करनी है। दूसरे मैच के दौरान मेरी यही कोशिश थी कि खुलकर तथा दिमाग लगाकर खेलूं और इसका आनंद लूं। दबाव हमेशा ही रहता है तो उसमें मुझे खेलना अच्छा लगता है।’