सेबी बोर्ड की अगली बैठक में क्लियरिंग कॉरपोरेशन के स्वामित्व, आरईआईटी के लिए नए नियमों समेत अन्य मुद्दों पर होगी चर्चा

नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की 18 जून को होने वाली अगली बैठक में क्लियरिंग कॉरपोरेशन के स्वामित्व और आरईआईटी एवं आईएनवीआईटी को इंडेक्स में जोड़ने के लिए इक्विटी के रूप में वर्गीकृत करने और अन्य मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, क्लियरिंग कॉरपोरेशन के स्वामित्व पर सेबी ने उनके मूल एक्सचेंजों से संभावित विभाजन के बारे में मुखरता से बात की है, लेकिन क्लियरिंग कॉरपोरेशन में एक्सचेंजों का आंशिक स्वामित्व बरकरार रखा जा सकता है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार एक्सचेंज स्वामित्व संरचना को बदलने के पक्ष में नहीं हैं।
इस मुद्दे को पिछली बोर्ड बैठक में भी उठाया जाना था।
माना जा रहा है कि सेबी इंडेक्स में शामिल करने के उद्देश्य से रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट को इक्विटी इंस्ट्रूमेंट के रूप में मानने पर भी चर्चा कर सकता है। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड को इक्विटी योजनाओं के माध्यम से आरईआईटी एवं आईएनवीआईटी में अपना निवेश 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की अनुमति दी जा सकती है।
वैकल्पिक निवेश निधि क्षेत्र में सेबी अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत सह-निवेश की अनुमति दे सकता है और एआईएफ प्रबंधकों को सूचीबद्ध प्रतिभूतियों पर सलाह देने में सक्षम बना सकता है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए सेबी केवल भारतीय सरकारी बॉन्डों में निवेश करने वालों के लिए नियमों को आसान बनाने पर विचार कर सकता है।
बैठक में क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट प्रक्रिया को सरल बनाने, कागजी कार्रवाई को कम करने और सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा धन जुटाने को सुव्यवस्थित करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।
इससे पहले सेबी के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने कहा था कि बोर्ड डेरिवेटिव बाजार से संबंधित नियमों को बेहतर बनाने पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है, इसका उद्देश्य खुदरा निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करना है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि बाजार की गतिविधियां प्रभावित न हों।
पांडे ने स्पष्ट कहा था कि सेबी फ्यूचर्स एवं ऑप्शन बाजार पर शिकंजा कसने का प्रयास नहीं कर रहा है, बल्कि एक संतुलित दृष्टिकोण अपना रहा है।
–आईएएनएस
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